रायपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि पूरे विश्व को भारत पर भरोसा है। भारत को कभी किसी देश को जीतना नहीं है। हमको भारत को दुनिया का सिरमौर बनाना है, लेकिन किसी को डरा कर नहीं। जब तक भारत है, तब तक हम आप हैं। भारत नहीं रहेगा, तो हम आप नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा कि कल्चर का मतलब संस्कृति नहीं है। खानपान और कपड़े सभ्यता में आते हैं, संस्कृति नहीं है। सारी विविधता के बीच एक संस्कार है। भागवत ने रायपुर में आज सामाजिक समरसता सम्मेलन को संबोधित किया।
भागवत ने कहा कि विविधता के बावजूद एक देश एक राष्ट्र के कारण ही भारत चल रहा है। कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए इसे तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन जब भारत की बात आती है तो सब एक हो जाते हैं। जितना जमावड़ा बनाओगे, उतना मजबूत रहोगे। सबको जोड़ने वाली भारत की संस्कृति है, भारत के पूर्वज जोड़ने वाले हैं।
इससे पहले भागवत ने कहा कि संक्रान्ति का पर्व है। सब कुछ ध्वस्त करके कुछ नया आने वाली क्रांति नहीं, बल्कि सोच विचार करके एक लंबी प्रक्रिया से शांति साथ लेकर आती है। सबको सुरक्षा देती है, सब को प्रतिष्ठित करती है। सूर्य को एक चक्र वाले रथ को 7 घोड़े को सामंजस्य बिठाने पड़ता है। इतनी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि महान कार्य को करने के लिए साधन कितना है ये जरूरी नहीं है। खुद को लायक बनाने से सब सिद्ध हो जाएगा। परिस्थिति आती- जाती रहती है। मनुष्य अगर प्रकृति के साधनों के सहारे जिये तो एक पल जिंदा नहीं रह सकता। एक मच्छर भी मनुष्यों को परेशान कर सकता है। भगवान ने मनुष्य को बुद्धि दी है, जिसके कारण जिंदा है और इसी बुद्धि के कारण अहंकार भी है। व्यक्ति के नाते हमें समूह बनाकर सुखमय जीवन जीने के लिए चलना होगा।
भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि समान विश्वास वाले लोग एक साथ आते हैं, जिसकी संख्या ज्यादा होती है वो जीतते हैं। राज्य कृत्रिम चीज है, वो बदलती है।