वन्य-प्राणियों के प्रति संवेदनशीलता की भावना विकसित करें
वन्य-प्राणियों के प्रति  संवेदनशीलता की भावना विकसित करें
राज्यपाल यादव द्वारा वन्य-प्राणी संरक्षण सप्ताह का समापनभोपाल में मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव ने वन्य-प्राणी संरक्षण सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मानव और वन्य-प्राणियों के सह अस्तित्व में सदभावना को सुनिश्चित करने के रास्ते निकाले जाने चाहिए। वन्य-प्राणियों के संरक्षण के लिए सक्रिय जनसहयोग बुनियादी शर्त है। वनवासियों के हितों की रक्षा किये बिना और उनकी सहभागिता के बिना न तो वनों की रक्षा हो सकती है, और न वन्य-प्राणियों की।श्री यादव ने कहा कि वन्य प्राणियों के लिए संरक्षित क्षेत्र से लगे हुए गाँंवों में विकास के काम करने होंगे ताकि जंगलों पर लोगों और मवेशियों की निर्भरता कम हो। उन्होंने कहा कि केवल कानून से समाज की मानसिकता नहीं बदली जा सकती। समृद्ध वनों और वन्य-प्राणियों को बचाने के लिए समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से नई पीढ़ी में वन्य-प्राणियों के प्रति संवदेनशीलता, जागरूकता और करूणा की भावना विकसित करना आवश्यक है। श्री यादव नेे इस वर्ष प्रदेश के तीन बाघ रिजर्व को भारत सरकार द्वारा उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किये जाने और पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की पुर्नस्थापना के लिए प्रदेश सरकार की प्रशंसा करते हुए उसे इन उपलब्धियों के लिए बधाई दी।राज्यपाल श्री यादव ने वन्य-प्राणी सुरक्षा और प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वन विभाग के 38 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वर्ष 2012 के वन्य-प्राणी संरक्षण पुरस्कार से सम्मानित किया। श्री यादव ने 15 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशस्ति-पत्र भी प्रदान किये। राज्यपाल श्री यादव ने वन्य-प्राणी सप्ताह के दौरान वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में चित्रकला के 6 वर्ग में, रंगोली, फोटोग्राफी, वाद-विवाद, शिक्षक वाद-विवाद, निबंध, महाविद्यालयीन वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, सृजनात्मकता प्रतियोगिता और फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया।वन राज्य मंत्री श्री जयसिंह मरावी ने कहा कि वन्य-प्राणियों का मानव जीवन में बड़ा महत्व है और वे हमारे लिए पूजयनीय भी हैं। उन्होंने कहा कि वनों के सिकुड़ते हुए क्षेत्र के कारण वन्य-प्राणी के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा अस्तित्व वन्य-प्राणियों के अस्तित्व पर निर्भर है। श्री मरावी ने सरकार द्वारा वनों के संवर्धन और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों का ब्यौरा देते हुए बताया कि समाज और सरकार का यह दायित्व है कि भविष्य में कोई भी वन्य-प्राणी विलुप्तता के कगार पर न पहुँचे। उन्होंने कहा कि वन्य-प्राणियों की भरी-पूरी समृद्ध विरासत हमें नई पीढ़ी को सौंपना है।मध्यप्रदेश राज्य विकास निगम के अध्यक्ष श्री गुरू प्रसाद शर्मा ने कहा कि हमारे देश में सम्राट अशोक के काल से वन्य प्राणियों के संरक्षण की परंपरा है। उन्होंने कहा कि वन्य-प्राणी प्रकृति संतुलन का एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में वानप्रस्थ की अवधारणा है जिसके चलते व्यक्ति न केवल आत्म चिंतन करता है, बल्कि वन्य-प्राणियों से तादात्मय भी कायम करता है।पूर्व में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य-प्राणी डॉ. पी.के.शुक्ला ने स्वागत भाषण दिया। संचालक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान श्री वी.पी.एस.परिहार ने आभार व्यक्त किया। प्रमुख सचिव वन श्री देवराज और प्रधान मुख्य संरक्षक श्री रमेश दवे भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। अंत में राज्यपाल एवं वन राज्य मंत्री तथा अन्य मंत्रियों को स्मृति-चिन्ह भेंट किये गये।