उन्नत खेती के जरिए लाखों कमाने का झांसा देकर किसानों के नाम पर बैंक से 30-30 लाख रुपए फाइनेंस कराकर ढाई करोड़ रुपए हजम करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। ठगी के शिकार आरंग और महासमुंद इलाके के आठ किसानों ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था। कोर्ट ने शिकायत सही पाकर आरंग थाने को मामले में धोखाधड़ी का केस दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस करोड़ों की ठगी करने वाले गोविंदपुरा भोपाल के प्रभावी बायोटेक एंव ट्रेडिंग प्रालि कंपनी के डायरेक्टर, मैनेजर, दो एजेंट समेत बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन बैंक मैनेजर के खिलाफ अपराध कायम कर लिया।
आरंग थाना प्रभारी बोधनराम साहू ने बताया कि वर्ष 2014-15 में महासमुंद और आरंग इलाके के दर्जनों किसानों को आधुनिक विधि से खेती करने पर एक साल में 15 से 20 लाख रुपए तक फायदा होने का झांसा देकर प्रभावी बायोटेक एवं ट्रेडिंग प्रालि गोविंदपुरा भोपाल के स्थानीय एजेंट ग्राम मरौद, तुमगांव (महासमुंद) निवासी घनश्याम ध्रुव ने सभी किसानों को बैंक ऑफ बड़ौदा से 30-30 लाख रुपए का लोन दिलाने की बात कही।
ठगी के शिकार तुमगांव निवासी ललित कुमार साहू ने बताया कि एजेंट घनश्याम ने बायोटेक कंपनी के डायरेक्टर भरत पटेल, मैनेजर विनय शुक्ला से मिलवाया। तब कंपनी के लोगों ने छह माह तक फसल की देखरेख खुद से कराने को कहा। झांसे में आकर ललित साहू समेत ग्राम बनचरौदा के तुलसीराम साहू, ग्राम कांपा, महासमुंद के लक्ष्मीनारायण साहू, तुमगांव के तुलसीराम साहू, ग्राम कौवाझर तुमगांव के डोमारसिंग ध्रुव, संतराम साहू, अयोध्या नगर, महासमुंद के प्यारे लाल ध्रुव तथा मोहन सिंह ध्रुव समेत अन्य किसान पाली हाउस लगाने तैयार हो गए। फिर बैंक ऑफ बडौदा आरंग शाखा के मैनेजर श्याम बांदिया से मिलीभगत कर कंपनी के लोगों ने सभी के नाम पर 30-30 लाख रुपए का फाइनेंस कराकर किसानों के हस्ताक्षर लेकर पूरी रकम हजम कर ली।
पीड़ित किसानों ने बताया कि जून 2015 में कंपनी के वाहन ने पाली हाउस का सामान खेती जमीन में डाला। छह माह बाद स्ट्रक्चर खडा किया। लगभग आठ माह बाद ड्रिप सिस्टम लगाया गया। इसका खर्च किसानों से लिया गया। खेत में बोर एवं घेरा पहले से था। किसानों का आरोप है कि पाली हाउस का पूरा काम कराए बगैर कंपनी के मैनेजर विनय शुक्ला, बैंक मैनेजर श्याम बांदिया ने जारी किए गए 30-30 लाख रुपए के चेक को किसानों से हस्ताक्षर कराकर भुना लिया। लाखों की रकम कंपनी के डायरेक्टर भरत पटेल के खाते में ट्रांसफर कराया गया था। 41 लाख रुपए के इस प्रोजेक्ट को कंपनी के लोगों ने लालच में आकर किसानों से न केवल धोखाधड़ी की बल्कि हार्टिकल्चर विभाग से 20 लाख की सब्सिडी भी नहीं दिलाई।