पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए मतदान जारी है। सुबह 7 बजे से शुरू हुए मतदान के बाद 11 बजे तक 26.28 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस बीच कड़े सुरक्षा इंतजामों के बावजूद हुई हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है वहीं 50 से ज्यादा घायल हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार दक्षिण 24 परगना में टीएमसी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई वहीं वाम नेता की पत्नी की हत्या कर दी गई। इसके अलावा अलीपुरद्वार में कई लोग घायल हुए हैं जबकि उत्तर 25 परगना में एक क्रूड बम धमाके में 20 लोग घायल हुए हैं।
इससे पहले राज्य के कूच बिहार में हुई झड़प में 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए वहीं कई वाहनों को नुकसान पहुंचा है। स्थानीय लोगों के अनुसार वो लोग मतदान करने के लिए गए थे लेकिन इस बीच टीएमसी के समर्थकों ने उ न पर हमला कर दिया। सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।
इसके अलावा मुर्शिदाबाद में बूथ कैप्चरिंग की घटना सामने आई है जबकि पनीहाटी में एक भाजपा कार्यकर्ता को चाकू मारकर घायल कर दिया गया है।
राज्य चुनाव में हिंसा को लेकर भाजपा ने टीएमसी पर निशाना साधा है। भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है। घटनाएं बताती हैं कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के राज में राजनीतिक हिंसा ने पूरे राज्य को चपेट में ले लिया है और यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
बता दें कि चुनाव के पहले राज्य में हुई हिंसा को देखते हुए सभी बूथों पर सशस्त्र बलों की तैनाती की गई है। अतिसंवेदनशील व संवेदनशील बूथों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
इस बार पंचायत चुनाव में सत्ताधारी टीएमसी और विपक्षी भाजपा के बीच जोरदार लड़ाई देखने को मिल रही है। अगले साल होने आम चुनावों से पहले के प्रमुख चुनाव होने के कारण इस चुनाव की अहमियत काफी बढ़ गई है। राजनीतिक दल इसे लोकसभा चुनावों से पहले अपनी ताकत के परीक्षण के तौर पर देख रहे हैं। चुनावों की गणना 17 मई को होगी। अगर किसी कारणवश जरूरत पड़ी तो 16 मई को पुनर्मतदान हो सकते हैं।
पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, 3,358 ग्राम पंचायतों की 48,650 में से 16,814 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। वहीं 31 पंचायत समितियों की 9,217 में से 3,059 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना गया है। इसी तरह 20 जिला परिषदों की 825 में से 203 सीटों पर मुकाबला निर्विरोध रहा है।
चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान हुई हिंसा को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, और वाम मोर्चा के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। विपक्ष का आरोप है कि सत्तारूढ़ टीएमसी ने नामांकन प्रक्रिया के दौरान हिंसा की, वहीं तृणमूल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि विपक्ष का कोई जनाधार नहीं है और वह चुनाव से बचने का प्रयास कर रहे थे।
तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों पर हिंसा का आरोप लगाते हुए विपक्षी पार्टियों हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी गुहार लगाई थी। वहीं नामांकन दाखिल करने से रोके जाने के विपक्ष के आरोपों के चलते हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों को वाट्सऐप और ईमेल के जरिये भी नामांकन भरने की इजाजत दी थी।