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सरकार की कोशिश कि अगले चुनाव से पहले इसे खोल दिया जाए।
नक्सल इलाकों में युद्ध और विकास के मोर्च पर जूझ रही फोर्स अब उस स्टेट हाइवे को खोलने की तैयारी में है जो नक्सलगढ़ के केंद्र से होकर गुजरती है। प्रदेश के धुर दक्षिण में तेलंगाना की सीमा से उत्तर की ओर राजनांदगांव के समीप नेशनल हाइवे-6 पर आकर मिलने वाली करीब 6 सौ किलोमीटर सड़क को नक्सलियों ने तीन दशक से बंद कर रखा है।
तेलंगाना के भद्राचलम के पास स्थित लक्ष्मीपुरम और चेरला कस्बों से दो रास्ते बस्तर के जंगलों में प्रवेश करते हैं। लक्ष्मीपुरम के पास मरईगुड़ा में पुलिस और सलवा जुड़ूम का कैंप है। यहां से 18 किलोमीटर दूर गोलापल्ली थाना है। 1980 से नक्सलियों ने सड़क बाधित कर रखी है।
कई साल तक सप्लाई पैदल या हेलीकॉप्टर से होती रही। पिछले साल फोर्स की मदद से मरईगुड़ा से लिंगनपल्ली तक पक्की सड़क बनाई गई। इस रास्ते पर गोलापल्ली तक करीब 8 किलोमीटर का काम अब भी बचा है।
गोलापल्ली से किस्टारम को जोड़ने वाली सड़क का काम भी अभी होना है। तेलंगाना के चेरला से पेद्दागुड़ा, धर्मापेंटा होते हुए एक अन्य सड़क किस्टारम तक आती है। वर्तमान में इस सड़क पर काम चल रहा है। इस रास्ते पर हर 5 किलोमीटर पर फोर्स के कैंप खोले गए हैं ताकि सड़क का काम पूरा हो जाए।
सुकमा जिले के किस्टारम में थाना है और बीच नक्सलगढ़ में फोर्स का बड़ा कैंप भी यहीं पर है। किस्टारम से जगरगुंडा तक रास्ता है। दोरनापाल से जगरगुंंडा तक 56 किमी सड़क भी बनाई जा रही है। दंतेवाड़ा की तरफ से अरनपुर-जगरगुंडा सड़क का काम भी कोंडासावली घाट तक पूरा हो चुका है। दोनों ओर से जगरगुंडा तक सड़क बनते ही नक्सलियों की राजधानी तक सीधी पहुंच बन जाएगी।
यही स्टेट हाइवे जगरगुंडा से आगे दंतेवाड़ा से होकर बारसूर होते हुए अबूझमाड़ की सीमा से होकर नारायणपुर जिले में धौड़ाई के पास पल्ली तक जाता है। बारसूर-पल्ली मार्ग पर नक्सलियों ने बड़े-बड़े पेड़ गिरा दिए थे। अब बारसूर और पल्ली दोनों तरफ से सड़क का काम शुरू किया गया है। सड़क को सुरक्षा देने के लिए धौड़ाई से 20 किमी अंदर जंगल में स्थित कड़ेनार में हाल ही में फोर्स का कैंप खोला गया है।
नारायणपुर से आगे रावघाट, अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर तक इसी सड़क के आसपास लगातार नक्सल सक्रियता रही है। नारायणपुर से राजनांदगांव तक सड़क चालू है लेकिन उसका भी उन्न्यन किया जाएगा।
पिछले महीने किस्टारम के पास स्थित एलकनगुड़ा में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगी गाड़ियों का फूंक दिया था। इसके बाद से पेद्दागुड़ा-किस्टारम मार्ग का करीब 6 किलोमीटर का काम रूका हुआ है। किस्टारम को जोड़ते ही स्टेट हाइवे का सबसे कठिन रास्ता बनकर तैयार हो जाएगा। जगरगुंडा मार्ग पर भी बुरकापाल के पास नक्सल हमले के बाद से काम रूका हुआ है।
MadhyaBharat
21 June 2018
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