गुलाम कश्मीर में स्थित आतंकी शिविरों और लांचिंग पैड पर भारतीय सेना की बहुचर्चित सर्जिकल स्ट्राइक का बुधवार को एक और सुबूत सामने आया है। यह सुबूत एक वीडियो फुटेज के रूप में है। इस फुटेज में भारतीय जवान पाकिस्तान क्षेत्र में दाखिल होकर आतंकी ठिकानों पर हमला करते नजर आ रहे हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक का पाकिस्तान और आतंकी संगठनों ने हमेशा खंडन किया है, लेकिन 21 माह बाद अब वीडियो फुटेज के सामने आने के बाद एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जवानों ने दुश्मन को उसके घर में घुसकर मजा चखाया था।
भारतीय सेना की चार और नौवीं वाहिनी से संबंधित पैरा कमांडो दस्ते ने 28 और 29 सितंबर 2016 की दरमियानी रात को उत्तरी कश्मीर में एलओसी पार कर गुलाम कश्मीर के दो से तीन किलोमीटर अंदर के इलाके में जाकर आतंकियों के सात लांचिग पैड को तबाह किया था।
इस कार्रवाई में कई आतंकी सरगना मारे गए थे। पाकिस्तानी सेना को भी इसमें नुकसान उठाना पड़ा था। भारतीय सेना ने यह कार्रवाई 18 सितंबर 2016 को उड़ी स्थित सैन्य ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए आतंकियों के आत्मघाती हमले का बदला लेने के लिए की थी। इस हमले में 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे।
गुलाम कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर हमले का खुलासा 29 सितंबर 2016 को तत्कालीन डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिह ने किया था। लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिह इस समय ऊधमपुर स्थित सेना की उत्तरी कमान प्रमुख हैं।
संबंधित सूत्रों ने बताया कि इस अभियान में शामिल सेना की चार और 9वीं वाहिनी की घातक टीम और पैरा कमांडो दस्ते की हेलमेट पर लगे कैमरों ने लांचिग पैड पर हुई हर कार्रवाई को रिकार्ड किया था और यह वही फुटेज है।
गुलाम कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा कार्रवाई करने से 10 दिन पहले लगातार इस अभियान की योजना पर काम हुआ। घातक दस्तों ने पूरे इलाके का खाका तैयार किया।
सेना व अन्य खुफिया एजेंसियों ने अपने तंत्र द्वारा कुछ खास लांचिग पैड को चिह्नित किया। सेटलाइट की मदद भी ली गई और अमावस की रात आते ही भारतीय जवान पाकिस्तानी क्षेत्र में घुस गए।
इस अभियान की पीएम नरेंद्र मोदी, तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और तत्कालीन डीजीएमओ रणबीर सिह ने लगातार निगरानी की थी।
अलबत्ता, श्रीनगर स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता समेत किसी भी अन्य सैन्य अधिकारी ने सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो की पुष्टि नहीं की है।
सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) डीएस हुडा ने एक टीवी चैनल को बताया कि जब कोई इसपर सवाल उठाता है तो निराशा होती है। हम झूठ नहीं बोलते।\' हुडा उत्तरी कमान के कमांडर रह चुके हैं।