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रायपुर में छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल ने जिस समय सदन में अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी, उस वक्त सदन में अमित जोगी व सियाराम कौशिक नहीं थे। केवल आरके राय ही सदन में मौजूद थे। इस पर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आपत्ति की। कहा- अविश्वास प्रस्ताव की सूचना देकर सदन में उपस्थित नहीं होना दुर्भाग्यजनक और सदन का अपमान है।
अमित की अनुपस्थिति पर कांग्रेसी सदस्यों ने टिप्पणी करते हुए उन्हें सरकार की बी टीम करार दिया। भूपेश बघेल ने कहा कि सत्ता पक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आप ही लोगों के कहने पर यह प्रस्ताव लाया गया था। इस पर मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने कहा कि दो दिन में उनको भान हो गया कि यह सरकार विश्वास के लायक है।
अविश्वास प्रस्ताव
जुलाई 2015 के सत्र में पहला अविश्वास प्रस्ताव रखा गया। 24 व 25 जुलाई को 24 घंटे 25 मिनट चली चर्चा।
दिसंबर 2017 के सत्र में आया दूसरा अविश्वास प्रस्ताव। 22 जुलाई को दोपहर 12ः22 पर चर्चा शुरू हुई, जो दूसरे दिन सुबह 07ः06 बजे तक कुल 18 घंटे 38 मिनट चली।
एक मात्र अविश्वास प्रस्ताव दिसंबर 2011 में लाया गया। इस पर 16, 19 और 20 दिसंबर को कुल 23 घंटे 19 मिनट चर्चा चली।
रमन सरकार के पहले कार्यकाल में दिसंबर 2007 में अविश्वास प्रस्ताव सदन में रखा। इस पर 03 और 04 दिसंबर को कुल 17 घंटे 50 मिनट तक चर्चा चली।
तत्कालीन जोगी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 2002 में लाया गया। इस पर 30 सितंबर व 01 अक्टूबर को कुल 17 घंटे 08 मिनट चर्चा हुई।
राज्य की पहली सरकार के खिलाफ दूसरा अविश्वास प्रस्ताव जुलाई 2003 में सदन में लाया गया। इस पर 29 जुलाई को 11 घंटे 52 मिनट तक चर्चा चली।
MadhyaBharat
4 July 2018
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