रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि आतंकवाद प्रभावित राज्य में जमीनी हकीकत को दरकिनार किया गया है। सुरक्षा बलों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप को ठुकराते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने राज्य में आतंकवाद के पीड़ितों के लिए भारतीय सेना की सहायता को एकदम अनदेखा कर दिया है। इस बीच, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक व्यक्ति की जारी की हुई रिपोर्ट है।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और प्रदर्शनकारियों से निपटने में सबसे अधिक संयम बरतती है। सेना ने वहां कई स्कूल स्थापित किए हैं। उच्च शिक्षा के लिए लड़के और लड़कियों का प्रशिक्षण किया है। साथ ही उन्हें भारत के अन्य राज्यों में यात्रा करने का अवसर प्रदान किया है।
वहीं, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट का संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना-देना ही नहीं है। यह एक व्यक्ति की जारी रिपोर्ट है और इसे उसी तरह से देखा जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस हफ्ते की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थाई प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर पर 14 जून की एक रिपोर्ट का हवाला दिया था। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने सुरक्षा परिषद में सशस्त्र संघर्ष और बच्चों के विषय पर चर्चा के दौरान पेश की थी। इस रिपोर्ट में अल हुसैन ने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन पर स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की गई थी।