देश में सक्रिय लाल आतंकी संगठन के सुप्रीमो गणपति को केंद्रीय व नौ राज्यों की खुफिया एजेंसी और पुलिस 40 वर्षों में तलाश नहीं पाई है। यहां तक पुलिस या एजेंसियों के पास उसकी कोई ताजा फोटो भी नहीं है। एकमात्र फोटो है, वह भी करीब 20 से 25 साल पुरानी है।
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गणपति कितना तेज है और उसकी सुरक्षा कितनी तगड़ी है। छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को कथित रूप से चुनावी मदद के ऑफर की वजह से गणपति इस वक्त सुर्खियां में है।
गणपति यानी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी का महासचिव मुपल्ला लक्ष्मण राव, ऊर्फ गणपति ऊर्फ लक्ष्मण राव, ऊर्फ राजि रेड्डी, ऊर्फ श्रीनिवास राव। मूतलः आंध्रप्रदेश के करीमनगर का रहने वाला है। पुलिस के पास उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार साइंस स्नातक गणपति बीएड के बाद शिक्षक बना, लेकिन बाद में नक्सली संगठन से जुड़ गया।
करीब तीन करोड़ 60 लाख का इनामी गणपति की उम्र अभी करीब 70 वर्ष है। 1977 में पहली बार उसे पकड़ा गया था। 1979 में वह जमानत पर रिहा हुआ, उसके बाद से कभी पुलिस के हाथ नहीं आया।
देश में सक्रिय नक्सली संगठनों के गठजोड़ से 2004 में सीपीआई (माओवादी) खड़ी हुई है। गणपति को उसी साल इसकी केंद्रीय कमेटी का महासचिव बनाया गया, उसके बाद से वह लगातार इस पद पर बना हुआ है।
केंद्रीय व आंधप्रदेश की खुफिया एजेंसियों के हवाले से मिली खबरों के अनुसार गणपति गंभीर रुप से बीमार है। उसकी किडनी खराब हो गई है, घुटने में दिक्कत है, शुगर और बीपी कभी भी शिकायत है। फिलहाल उसकी स्थिति चलने- फिरने की नहीं है। लंबे समय से संगठन की गतिविधियों से भी वह दूर है। इसी वजह से केंद्रीय कमेटी में दूसरे नंबर के सदस्य नंबाला केशव राव को संगठन की कमान सौंपी गई है। राव नक्सलियों की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के महासचिव है।
गणपति का नवंबर 2016 के बाद से कोई बयान नहीं आया है। नवंबर में गणपति ने नोटबंदी समेत मोदी सरकार के कई फैसलों पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।