अब सरकार की निगाहें लगीं झाड़ के जंगलों पर
अब  सरकार की निगाहें लगीं झाड़ के जंगलों पर
मध्यप्रदेश की विकास योजनाओं के लिए जंगल की भूमि कम पड़ने लगी है। ऐसे में अब सरकार को छोटे-बडे झाड़ के जंगलों की जमीन याद आने लगी है। सरकार विकास योजनाओं और पौधरोपण के लिए इस तरह की जमीन देने की तैयारी कर रही है। सरकार ने सभी कलेक्टरों से ऐसी जमीन की जानकारी मांगी है। इस संबंध में हाल ही में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है। इसमें मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य की ऐसी विकास योजनाएं जिनमें वन भूमि की आवश्यकता होती है, उनके लिए गैर वन भूमि की उपलब्धता का पता लगाने में काफी समय लग जाता है, जबकि वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि के डायवर्सन का प्रस्ताव तैयार करना अनिवार्य है। प्रदेश के कुछ जिलों में गैर वन भूमि के लिए स्थापित भूमि बैंक से भी जमीनों का उपयोग हो चुका है। ऐसी स्थिति में ऐसी विकास योजनाएं, जिनमें वन भूमि की आवश्यता होती है जिनकी स्वीकृत में काफी समय लग जाता है। मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि इस अधिनियम के तहत भारत सरकार ने यह प्रावधान किया है कि छोटे-बड़े झाड़ के जंगल यदि राज्य सरकार वैकल्पिक पौधरोपण के लिए प्रस्तावित करती है तो उसे मान्य किया जाएगा।इसलिए पड़ी जरूरत : विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि का हिस्सा आने पर इसका उपयोग करने से पहले अनुमतियों के साथ ही इस्तेमाल की जाने वाली भूमि के दोगुने भूमि पर पौधरोपण करने के नियम है। कई जिलों में सरकार के पास भूमि नहीं है, जहां पौधरोपण किया जा सके