भाजपा के हिदुत्व का जवाब देने के लिए कांग्रेस पिछले कुछ चुनावों से लगातार सॉफ्ट हिदुत्व की राह पर चल रही है। गुजरात में मंदिर-मंदिर घूमकर कांग्र्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की छवि सॉफ्ट हिदुत्व की बनाने की जो पहल शुरू की वह मध्यप्रदेश के चुनाव के आते तक राममय होने लगी है। ऐसे में मप्र में राम कांग्र्रेस के मुद्दा हो सकते हैं पर छत्तीसगढ़ में तो रोटी पर ही चुनाव लड़ जाएगा।
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने राम वनगमन मार्ग पर काम शुरू किया है। इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने की बात भी कही जा रही है। चुनाव प्रचार के तहत कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के विंध्य पर्वत श्रेणी से लेकर प्रदेश के दक्षिणी हिस्से तक राम वनगमन मार्ग की तलाश भी शुरू कर दी है।
उधर, छत्तीसगढ़ में भाजपाई मंत्री की कथित सेक्स सीडी में उलझी कांग्र्रेस जंगल सत्याग्रह से लेकर तमाम और आयोजन करने की तैयारी में है, लेकिन राम का नाम नहीं ले रही है। मध्यप्रदेश में राम का सहारा है तो यहां क्यों नहीं? इस सवाल पर कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी कहते हैं-यहां लोगों की रोजी-रोटी ही प्रमुख मुद्दा है।
प्रदेश में भय, भूख, भ्रष्टाचार का मुद्दा ज्यादा अहम है। भाजपा और रमन सरकार के 15 साल के कुशासन से जनता त्रस्त हो गई है। वे कहते हैं राम भी हमें याद हैं। हो सकता है आगे राम पर भी कुछ कार्यक्रम हों, लेकिन अभी तो पार्टी ने ऐसा कुछ सोचा नहीं है।
भगवान राम की बात हो तो छत्तीसगढ़ यानी दक्षिण कौशल और दंडकारण्य की चर्चा जरूर होगी। अपने वनवास का ज्यादातर समय राम ने यहीं गुजारा था। छत्तीसगढ़ को भगवान राम की ननिहाल भी माना जाता है, लेकिन यहां राम मुद्दा नहीं हैं। असल में राजनीति चलती ही ऐसे है। मध्यप्रदेश में एससी-एसटी एक्ट पर सवर्ण आंदोलन खड़ा हो गया। भाजपा भी वहां हिदुत्व को लेकर मुखर है, जबकि यहां तो भाजपा भी राम के बजाय विकास के नाम पर वोट मांगने निकली है।
छत्तीसगढ़ में भगवान से राम से जुड़े कई स्थल मिलते हैं। भगवान राम मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के भरतपुर पहुंचे थे। यहां से जनकपुर, बैकुंठपुर होते हुए देवगढ़ के जमदाग्नि आश्रम पहुंचे थे। भगवान राम विश्रामपुर से होकर सीतापुर के गुरु गाहिरा आश्रम आए थे। कोरबा में लक्ष्मण पादुका, रामझरना जैसे स्थल हैं। शिवरीनारायण को भगवान राम का स्थल माना जाता है। तुरतुरिया में ऋषि वाल्मीकि का आश्रम है। फिंगेश्वर, राजिम, सिहावा आदि जगहों पर भगवान राम के ढेरों प्रमाण मिलते हैं।
भगवान राम ने छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य इलाके में वनवास का सबसे ज्यादा समय गुजारा था। धमतरी जिले के सिहावा से धनोरा के रास्ते भगवान राम ने दंडकारण्य में प्रवेश किया था। बस्तर में नारायणपुर, चित्रकोट, बारसूर, सुकमा जिले के रामारम के रास्ते भगवान वर्तमान तेलंगाना के भद्राचलम पहुंचे थे। इसी रास्ते से होते हुए रामेश्वरम तक गए थे।