न्यूयार्क में शिव -शिव
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान न्यूयार्क में फ्रेंड्स आफ एमपी कानक्लेव के माध्यम से मध्यप्रदेश को निवेश और बिजनेस के अनुकूल बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इस आयोजन ने अमेरिका में रह रहे भारतीयों को मध्यप्रदेश के बारे में तहेदिल से सोचने पर मजबूर कर दिया। फ्रेंड्स आॅफ एमपी के माध्यम से मध्यप्रदेश अपनी विकास की प्रक्रिया को बहुआयामी बनाना चाहता है। यह एक दूरदर्शी कदम है जिसमें स्थाई विकास के गुण निहित हैं। इस सिलसिले में मध्यप्रदेश ने अपनी विकास प्रक्रिया में दूसरे देशों के साथ प्रदेश के बाहर रहने वाले मध्यप्रदेश मूल के लोगों को जोड़ने का भी प्रयास किया है। सहयोग प्राप्त करने के लिए ग्लोबल टेलेन्ट पूल की अवधारणा भी प्रस्तुत की है। इसे अमली जामा पहनाने के लिए न्यूयार्क में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विकास के संबंध में मध्यप्रदेश की क्षमताओं, नीतियों और कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा कर लोगों से मध्यप्रदेश के सहयोग की प्रक्रिया को विस्तार दे रहे हैं।आज इन प्रयासों का मूल्यांकन करें तो प्रदेश तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। कई क्षेत्रों मे विकास के नए कीर्तिमान रचे हैं। चाहे कृषि उत्पादन हो अथवा उद्योगों के बात, मध्यप्रदेश ने अपने आपको सब जगह साबित किया है। हर उपयुक्त मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश में निवेश के लिए उठाए गए कदमों को रेखांकित किया है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री निवेशकों से सीधी चर्चा करते हैं। सिंगल विंडो की जगह अब सिंगल डोर व्यवस्था को लागू किया गया है। इससे सुविधाएं त्वरित और सहजता से मिल रही हैं। यह आयोजन ‘मेक इन इण्डिया’ अभियान की मूल भावना के अनुसार है। लोकोन्मुखी प्रधानमंत्री जन धन योजना में मध्यप्रदेश ने अग्रणी भूमिका निभाई है। उल्लेखनीय है कि न्यूयार्क कानक्लेव में 3000 पंजीयन हुए हैं। यानी तीन हजार मित्रों के साथ इस पहल की शुरुआत एक सकारात्मक दिशा में जा रही है। फ्रेंड्स आॅफ मध्यप्रदेश के तहत 5 क्षेत्र खोले गये हैं जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, ग्रामीण विकास और पर्यटन शामिल हैं। मेम्बर फे्रंड्स इनके संबंध में अपने विचार दे सकते हैं, किसी प्रोजेक्ट को प्रायोजित भी कर सकते हैं या कोई स्वैच्छिक कार्य हाथ में ले सकते हैं। वे राज्य सरकार द्वारा चलाए जाने वाले सामाजिक और सामुदायिक विकास में अपनी विशेषज्ञता का योगदान दे सकते हैं। इसके तहत किए जाने वाले कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास संबंधी विजन के अनुरूप होंगे। लेकिन दूसरा पक्ष ये है कि बीते वादों पर निगाह डालें तो इसके पहले हुए कुल 333 करारों में से 111 निरस्त हो चुके हैं। केवल सात कारखाने ही उत्पादन की स्थिति में हैं। बाकी 215 करारों की वस्तुस्थिति स्पष्ट नहीं। 2004 से 2012 के दौरान साढ़े चार लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के दावे जमीन पर नहीं उतर पाए हैं। प्रदेश की धरती पर केवल 27 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो पाया है। इसके बाद भी इंसान की कोशिशों और उम्मीदों ने ही इतिहास लिखा है।