राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पिछली वसुंधरा राजे सरकार के अंतिम छह माह के फैसलों की समीक्षा कराएगी। एक तरफ जहां वसुंधरा राजे सरकार की कथित अनियमितताओं जांच के लिए आयोग गठित करने पर विचार किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मंत्रियों की समिति वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर में हुए फैसलों की समीक्षा करेगी।
आयोग हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में बनेगा। इस बारे में अधिकारिक आदेश अगले कुछ दिनों में जारी कर दिए जाएंगे। चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की जांच कराने की बात कही थी। अब सत्ता संभालते ही गहलोत और पायलट के बीच वसुंधरा सरकार के दौरान हुए खान,जलदाय,चिकित्सा और आईटी विभागों में हुई अनियमितताओं की जांच कराने को लेकर सहमति बनी है।
अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में भी वसुंधरा राजे के साल 2003 से 2008 तक सीएम रहते हुए अनियमितताओं की जांच के लिए एन.एन.माथुर आयोग गठित किया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की याचिका पर इस आयोग के गठन को रदद कर दिया था । लेकिन इस बार फिर वसुंधरा राजे सरकार के 2013 से 2018 तक के कार्यकाल में हुई कथित अनियमितताओं की जांच कराने को लेकर आयोग बनाने की तैयारी की जा रही है ।
उधर वसुंधरा राजे सरकार द्वारा कार्यकाल के अंतिम छह माह में लिए गए निर्णयों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया है । इस बारे में अधिकारिक घोषणा अगले कुछ दिनों में हो जाएगी । उल्लेखनीय है कि विपक्ष में रहते हुए गहलोत ने कई बार अफसरों को चेतावनी दी थी कि यदि वे वसुंधरा राजे के कहने पर गलत काम करेंगे तो कांग्रेस के सत्ता में आने पर जांच कराई जाएगी और उन्हे इसका अंजाम भुगतना होगा ।
सरकार के एक विश्वस्त सूत्र के अनुसार गहलोत सरकार के निशाने पर भाजपा सरकार में मंत्री रहे नेता और कुछ अधिकारी है। इन लोगों पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके है । दो आईएएस अफसरों को जेल भी जाना पड़ा है। अब गहलोत सरकार ने इन अफसरों और नेताओं के बारे में पूरी रिपोर्ट तैयार कराई है । यह रिपोर्ट एक सेवािनवृत आईएएस अधिकारी और सीएमओ में तैनात एक अधिकारी ने तैयार की है।