लाखों बच्चों को दी गई कृमिनाशक दवा
पेट के कीड़े बच्चों के नैसर्गिक विकास में बाधक होते हैं। प्रदेश में बच्चों में कृमिनाशन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डीवर्मिंग -डे 10 फरवरी को मनाया गया । मध्यप्रदेश सहित 12 राज्य- असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, दादर एवं नगर हवेली, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु एवं त्रिपुरा में कृमिनाशक औषधियाँ बच्चों को दी गई । कृमिनाशन से बच्चों को अधिक स्वस्थ एवं एकाग्र बनाने में सहायता मिलती है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित साक्ष्य आधारित रणनीति है।भोपाल में एमपी के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने शासकीय कमला नेहरू विद्यालय (कालीबाड़ी टी.टी. नगर के पास ), भोपाल में बच्चों को कृमिनाशक दवा देने की शुरुआत की ।अभियान के लिए 4 विभाग सक्रियबच्चों में कृमि संक्रमण, व्यक्तिगत अस्वच्छता तथा संक्रमित या दूषित मिट्टी के संपर्क से होता है। बच्चों में पेट के कीड़े कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करते हैं। इससे उनके विकास तथा पढ़ाई-लिखाई पर विपरीत असर पड़ता है। वहीं उनका पोषण एवं हीमोग्लोबिन स्तर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए पूरे प्रदेश में 10 फरवरी को नेशनल डीवर्मिंग-डे अभियान में बालक-बालिकाओं को कृमिनाशक दवाएँ खिलाने का निर्णय लिया है। इस दिन प्रदेश के शासकीय/शासकीय अनुदान प्राप्त शालाओं, आदिवासी छात्रावासों एवं आश्रम शालाओं में बच्चों का कृमिनाशन किया जायेगा। कुल 80 हजार 113 प्राथमिक एवं 70 हजार 669 माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शालाओं एवं लगभग 80 हजार आँगनवाड़ी केंद्र में 5 से 19 वर्ष आयु के लगभग 98 लाख 58 हजार बच्चों को कृमिनाशन की एल्वेण्डाजोल गोली दी जाएगी। इसके लिये आश्यक तैयारियाँ कर ली गई हैं। विकासखंड स्तर तक कृमिनाशक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अलावा इस व्यापक कार्यक्रम के लिए स्कूल शिक्षा, आदिम-जाति कल्याण एवं एकीकृत बाल विकास सेवाएँ विभाग संयुक्त रूप से समन्वय से काम कर रहे हैं।अध्ययनों से पता चलता है कृमिनाशन से बच्चों की अनुपस्थिति में 25 प्रतिशत कमी आने के साथ उनकी पढ़ाई में एकाग्रता भी बढ़ती है। इससे संपूर्ण स्वास्थ्य -पोषण स्तर, आयरन की कमी की रोकथाम, बौद्धिक विकास तथा शालाओं में उपस्थिति में सुधार देखा गया है।