वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास ने गुड गवर्नेंस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मेरी ही शिकायत पर अठारह साल में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कैसा गुड गवर्नेंस। डबास ने यह बात सिविल सर्विसेज डे पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
शाहपुरा झील किनारे स्थित प्रशासन अकादमी में सिविल सर्विसेज डे के मौके पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईपीएस अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सुबह साढ़े दस बजे कार्यक्रम की शुरूआत हुई जो दोपहर दो बजे तक चला। अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने गुड गवर्नेंस को लेकर प्रिजेंटेशन दिया।
कार्यक्रम में सवाल जवाब के दौरान आईएफएस अधिकारी डबास ने कहा कि उन्होंने 18 साल पहले ग्वालियर में अवैध रूप से खनिज उत्खनन को लेकर मुख्य सचिव से लेकर कई जगह शिकायत की थी। आज तक उस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जब मुझे ही न्याय नहीं मिला तो कैसा गुड गवर्नेंस है?
सिविल सर्विस डे के एक दिन पहले अफसरों ने सिस्टम को कटघरे में खड़ा किया तो किसी ने सुधार को लेकर प्रश्न किए। मुख्य सचिव अंटोनी डिसा और पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह प्रश्न पूछने में सबसे आगे रहे। अफसरों के हर प्रश्न का उत्तर अपर मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा एसआर मोहंती ने बड़े ही बेबाकी और प्रशासनिक दायरे में रहते हुए दिए।
प्रशासन अकादमी में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के बीच जैसे ही प्रश्नोत्तर काल शुरू हुआ कि मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने पहला प्रश्न किया कि सीनियर अधिकारी के लिए माइक्रो मैनेजमेंट में गुड आस्पेक्ट कैसे हो सकता है। इसी दौरान पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह ने सवाल किया कि माइक्रो मैनेजमेंट में एकाउंटेबिलिटी को लेकर कैसे काम किया जा सकता है। सीएस के प्रश्न का उत्तर देते हुए एसीएस मोहंती ने बताया कि इरिगेशन पॉलिसी के लिए एसीएस जलसंसाधन आरएस जुलानिया द्वारा किए गए कार्य माइक्रो मैनेजमेंट का सबसे अच्छा उदाहरण है। डीजी सवाल पर उत्तर मिला कि रिस्पांसबिलिटी फिक्स करने की जरूरत है। सोशल मीडिया आजकल इसमें अहम् रोल अदा कर रहा है। आंख मंूदकर स्थानीय अफसर विश्वास करने की जरूरत नहीं है।
APCCF डबास को CS डिसा की डपट, बोले पर्सनल बातों का नहीं है मंच
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक आजाद सिंह डबास को मुख्य सचिव अंटोनी डिसा और पीसीसीएफ नरेन्द्र कुमार की फटकार भी लगी। डबास को बोलने के बीच ही रोकते हुए उन्हें नसीहत दी गई कि यह मंच पर्सनल बातों के लिए नहीं बल्कि गुड गर्वनेंस पर बोलने के लिए है। डबास ने मंच से 18 साल पुराना एक मामला उठाते हुए कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही थी। वे अपने ही विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे थे। दरअसल अपर मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा एसआर मोहंती अफसरों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। इसी दौरान एपीससीएफ अजाद सिंह डबास खड़े हुए और प्रश्न दागा कि ग्वालियर वृत्त के वन क्षेत्र में खनिज का अवैध उत्खनन हुआ, मैने शिकायत की, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वे विभाग पर कुछ और बोलते इसके पहले मुख्यसचिव ने बीच में ही रोका और बैठ जाने को कहा। डबास फिर भी नहीं माने और बोलने को आगे बढ़े तभी पीसीसीएफ ने भी टोका और पर्सनल बातें अलग से करने की नसीहत दे डाली।
ACS मोहंती का प्रजेंटेशन काबिल-ए-तारीफ
सिविल सर्विस डे के मौके पर स्कूल शिक्षा विभाग के एसीएस एसआर मोहंती ने प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि कौटिल्य, प्रजा की खुशी में अपनी खुशी मानते थे। वे अपनी खुशी को खुशी नहीं मानते थे। हम सिस्टम को डेवलप कैसे कर सकते हैं? पैसे का इस्तेमाल लोगों के लिए कैसे कर सकते हैं? इस तरह की नीति बनाकर मौजूदा समय में काम करने की जरूरत है। गुड गवर्नेंस के पांच पिलर हैं। सिटिजन सेंट्रिंग प्रशासन ही गुड गवर्नेंस में माना जाता है। जीरो टॉलरेंस, लीगल सिस्टम, कांपीटेंट पर्सनल, साउंड पर्सनल मैनेजमेंट, गुड पॉलिसी इसके लिए आवश्यक हैं।
माइक्रो मैनेजमेंट में एकाउंटेबिलिटी पर कैसे होगा काम: DGP
सवाल: डीजीपी सुरेन्द्रसिंह-माइक्रो मैनेजमेंट में एकाउंटेबिलिटी को लेकर कैसे काम किया जा सकता है।
जवाब: एसीएस मोहंती- रिस्पांसबिलिटी फिक्स करने की जरुरत है। सोशल मीडिया आजकल इसमें रोल अदा कर रहा है। आंख मूंदकर स्थानीय अफसर पर विश्वास करने की जरुरत नहीं है।
सवाल: सीएस अंटोनी डिसा- सीनियर अधिकारी के लिए माइक्रो मैनेजमेंट में गुड आस्पेक्ट कैसे हो सकता है।
जवाब: एसीएस मोहंती - इरिगेशन पॉलिसी के लिए एसीएस आरएस जुलानिया द्वारा किए गए कार्य माइक्रो मैनेजमेंट का सबसे अच्छा उदाहरण है।
सवाल: एडीजी प्रदीप रुनवाल-डायल 100 में फाल्स काल भी आते है इसे रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे है।
जवाब: एडीजी अन्वेष मंगलम -85 फीसदी फाल्स काल एमपी में आ रहे है। इसे कम करने के लिए दवाब बनाने की जरुरत अभी नहीं है। देश-प्रदेश में इस तरह की बहुत शिकायत आती है। कई बार मिस कॉल से भी जानकारी मिलती है। कई बार लोग पचास से सौ बार फाल्स कॉल् करते हे। ऐसे लोगों को ब्लैक लिस्ट किया है पर पूरी तरह इग्नोर नहीं किया है।
सवाल: डायल 100 के बाद पुलिस कर्मी बीट पर मौजूद नहीं रहते। पुलिस का संवाद घटा है। इसे सुधारने की जरुरत है।
जवाब: डीजीपी-सिंहस्थ के चलते फोर्स की दिक्कत आई है। बीट में मूवमेंट कम नहीं होने देंगे।