स्वाईन फ्लू नियंत्रण के सभी सुरक्षात्मक जारी रखे जाये
निजी चिकित्सालयों में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से 31 मार्च तक स्वाईन फ्लू का इलाजमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मौसम में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए स्वाईन फ्लू नियंत्रण के लिये सभी सुरक्षात्मक उपाय लगातार जारी रखे जाये। दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहें। मुख्यमंत्री चौहान ने यह निर्देश आज यहाँ स्वाईन फ्लू के नियंत्रण के लिये गठित राज्य समन्वय समिति की बैठक में दिये। उन्होंने मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से निजी चिकित्सालयों में स्वाईन फ्लू के मरीजों को इलाज की सुविधा 31 मार्च तक देने का निर्णय लिया। पहले गरीब परिवारों तथा जो व्यक्ति अपने खर्चे से इलाज नहीं करा पा रहे उन्हें 15 मार्च तक मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से निजी चिकित्सालयों में इलाज की सुविधा दी गयी थी। बताया गया कि स्वाईन फ्लू की जाँच के लिये आने वाले मरीजों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आयी है। लगातार बरती जा रही सतर्कता से प्रदेश में अन्य बड़े राज्य की तुलना में स्वाईन फ्लू पर प्रभावी नियंत्रण किया गया। प्रदेश में इस मर्ज के 1067 मरीजों का जीवन बचाया गया।मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक में स्वाईन फ्लू के उपचार के लिये की गई व्यवस्थाओं की क्षेत्रवार जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिये कि स्वच्छता के बारे में जागरूकता लायें। रोग की जाँच के लिये बनाये गये केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में टेमीफ्लू उपलब्ध रहे। बड़े शहरों के आसपास की परिधि में आने वाले अस्पतालों में भी यह दवाई उपलब्ध करवायी जाय। यह भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाय कि स्वाईन फ्लू का उपचार करने वाले चिकित्सक और पेरामेडिकल स्टॉफ इससे प्रभावित नहीं हो।बैठक में बताया गया कि प्रदेश में गत एक जनवरी से अब तक 3555 मरीजों के सेम्पल लिये गये। इनमें स्वाईन फ्लू के 1,461 प्रकरण पॉजीटिव मिले। शासकीय तथा निजी चिकित्सालयों में 1,067 को उपचार के बाद स्वस्थ किया गया। प्रदेश में अभी 200 मरीजों का इलाज चल रहा है। भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में प्रतिदिन स्वाईन फ्लू के 200 सेम्पल की जाँच की जा रही है। उपचार के लिये 550 स्क्रीनिंग केन्द्र बनाये गये हैं। प्रदेश के निजी और शासकीय चिकित्सालयों को 2 लाख 5 हजार टेमीफ्लू वितरित की गई हैं। यह 31 मार्च तक के लिये पर्याप्त है। अप्रैल में भी जरूरत की संभावना को देखते हुए एक लाख टेमी फ्लू का आर्डर दिया गया है। उपचार में लगे 1000 चिकित्सकों और पेरामेडिकल स्टाफ का वेक्सीनेशन किया गया है। प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां और उपचार सामग्री उपलब्ध है। प्रत्येक जिले में हेल्पलाइन शुरू की गई है। अब आगे स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेशव्यापी स्वास्थ्य संवाद अभियान चलाया जायेगा। आगामी 16 से 31 मार्च तक स्वास्थ्य विभाग के 90 हजार कर्मचारी, 980 ममता रथ घर-घर जाकर लोगों को स्वाईन फ्लू, डेंगू, मलेरिया, डायरिया के बारे में जागरूक करेंगे। शीघ्र उपचार की सलाह देंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि योजना बनाने के साथ उसका प्रभावी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया जाय।बैठक में सुझाव दिया गया कि स्वाईन फ्लू की दवा शेडूल एक्स, जिसके तहत यह दवा केवल शासकीय स्तर तथा कुछ चुने हुए मेडिकल स्टोर में ही उपलब्ध होती है, से हटा कर सभी मेडिकल स्टोर में उपलब्ध करवायी जाय। चिकित्सकों को सलाह दी जाय कि स्वाईन फ्लू के लक्षण वाले मरीजों का खुद इलाज करने के बजाय उन्हें संबंधित जिला चिकित्सालयों अथवा अधिकृत निजी चिकित्सालयों में भेजा जाय।प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने बताया कि देश में स्वाईन फ्लू का पहला केस 2009 में पाया गया था। इस बार यह बीमारी देश में तीन गुना तीव्रता से फैली है। इससे 22 राज्य प्रभावित हुए हैं। इस बीमारी से गुजरात में 332, राजस्थान में 321, महाराष्ट्र में 201 मरीजों की मृत्यु हुई है। मध्यप्रदेश में भी 193 मरीजों की इस बीमारी से मौत हुई है। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों की मौत हुई है उनमें से ज्यादातर ने इलाज प्रारम्भ करने में बहुत विलम्ब किया। प्रदेश में पूरी सतर्कता बरती जा रही है। मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रतिदिन स्वाईन फ्लू की समीक्षा करते हैं। यहाँ तक होली के दिन भी समीक्षा की गयी।बैठक में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण, प्रमुख सचिव चिकित्सा अजय तिर्की, आयुक्त स्वास्थ्य पंकज अग्रवाल, स्वास्थ्य संचालक, संभागों में पदस्थ संयुक्त संचालक स्वास्थ्य तथा निजी चिकित्सकों और स्वास्थ्य संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।