आखँ खोल कर देखें सीएम साहब शायद शर्म आए
 kheti

कमल नाथ के राज की सबसे दुखदायी तस्वीर 

बेटी बनी बैल और मां जोत रही है खेत 

किसानों के साथ सरकारी छलावे का पूर्ण सत्य 

मध्यप्रदेश को शर्मसार करती खबर 

 

मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ये आपके राज की सबसे ज्यादा दुखदायी तस्वीर है  ये तस्वीर आपके उन तमाम दावों की पोल खोलती है जो आप किसानों के लिए करते हैं  यह तस्वीर बताती है कि आपने पिछले छह महीनों में  सिवाए तबादलों के ऐसा कुछ नहीं किया ,जिसकी प्रशंसा की जाए  अगर आपकी सरकार ने कुछ किया होता तो  कम से कम एक गरीब महिला किसान को अपनी बिटिया को हल में बैल की जगह नहीं जोतना पड़ता 

 

आँख खोल लीजिये महानुभाव मुख्यमंत्री कमलनाथ  ये तस्वीर आपके राज्य मध्यप्रदेश की है  अगर ये तस्वीर किसी और राज्य की होती तो आपकी पार्टी  अब तक पिल पड़ी होती  एमपी के किसानों ने बदलाव के लिए कांग्रेस की लंगड़ी सरकार इसलिए बनवाई थी कि शायद किसान का कुछ भला हो सके लेकिन ये क्या आपके तबादला मई सुशासन में  तो  एक महिला किसान को खेत जोतने के लिए हल में बैल की जगह अपनी बेटी को लगाना पड़ रहा है  अगर आपकी सरकार यही करने वाली थी तो आप धन्य है   फिर आपसे पहले वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह में कौन सी बुराई थी   खेती को लाभ  का धंधा बनाने  का दावा करने वाले  पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लोगों ने सत्ता से इसलिए दूर किया था कि नई सरकार कुछ नया करेगी  कमलनाथ जी जनता ने आपको नहीं चुना लेकिन आप मुख्यमंत्री बन गए   कांग्रेस ने किसानों के लिए कई किस्म के वादे किये  लेकिन क्या हुआ महाराज सत्ता में आते ही आप उस आखिरी व्यक्ति की सुध लेना ही भूल गए  लगता है आपके  आपके मंत्रियों और अफसरों के ऐसी दफ्तरों में इस तरह की जानकारियों पहुँच ही न पाती हों  तो आप जान लीजिये  मध्यप्रदेश के देवास जिले के  कन्नौद तहसील के ग्राम भिलाई में अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए माँ-बेटी मिलकर खेत  जोत रही हैं   अपनी फसल में उगे अनावश्यक घास के सफाये के लिए किसान माँ को अपनी बेटी को बैल बनाना पड़ा   अगर ये कमलनाथ राज का सुशासन है तो लानत है इस पर  

कन्नौद के  भिलाई के पठार पर आदिवासी एवं अन्य परिवार के करीब 25 घर हैं   इन्ही के बीच कारीबाई बारेला भी रहती हैं जो अपने पति की  मौत के बाद अपनी जमीन पर मक्का एवं मूंगफली  उगाकर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं  सरकारी सुविधा का आलम ये है की बैल नहीं तो बच्चों को इस काम में लगाना पड़ रहा है  ख़ैर सरकार को इससे क्या भोपाल में बैठकर सरकार के प्रवक्ता योजनाओं और वादों की ऐसी जुगाली करते हैं  कि मध्यप्रदेश का सच भोपाल के मंत्रालय के गलियारों तक आते आते ही दम तोड़ देता है