मौसम की मार से किसान परेशान
मानसून की बेरुखी से किसान परेशान हैं आसमान को निहारता किसान बादलों के छाने का इंतजार कर रहा हैं बारिश ना होने से किसानो के सर पर संकट के बादल जरूर छा गए हैं नरसिंहपुर में बारिश नहीं हो रही है किसान डरा हुआ हैं खासकर धान के किसानों के लिए यह समय किसी मुसीबत से कम नहीं है जहां उनकी रोपी गई फसल अब सूखने लगी है मजदूरी निकालना भी अब उनके लिए दूर की कौड़ी साबित होने लगा है
नरसिंहपुर को मध्यप्रदेश का धान का कटोरा कहा जाता है एशिया की सबसे उपजाऊ भूमि का तमगा रखने वाले नरसिंहपुर के किसान मौसम की बेरुखी के चलते एक बार फिर गहरे संकट से जूझ रहा है पिछले 10 - 12 दिनों से मौसम ने ऐसी करवट बदली है की अन्नदाता के अरमानों पर पानी फिर गया हैं किसानों द्वारा अच्छी बारिश की आस में बड़े - बड़े रकवे में इस बार धान उपज की रुपाई की गई लेकिन फिर मानसून ने उन्हें धोखा दे दिया और अब यह हालत है शेष बचे रोपों को खेत मे रोपने से घबरा रहे है साथ ही पहले रोपे गए धान भी अब पानी की कमी के चलते खेत मे ही सूखकर दम तोड़ रहे है
आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन धान किसानों की दूसरी मुसीबत यह भी है कि धान की रुपाई के लिए भारी संख्या में मजदूर लाने पड़ते है और अब बारिश न होने के चलते और मजदूरों को मजदूरी देने के लिए मजबूरन धान रोपने का रिस्क भी लेना पड़ रहा है लेकिन अगर एक दो दिनों में बारिश न हुई तो पूरी की पूरी फसल बर्बाद होने का किसानों को डर सताने लगा है
मौसम की इस मार के आगे खुद जिले का कृषि विभाग अपने आप को बेबस और लाचार महसूस कर रहा है और वह भी मॉनसून के वापिस आने की राह तक रहा है विभाग भी कार्यशाला आयोजित कर अब एक तरह की खेती से बचने की किसानों को सलाह देता नजर आ रहा है ताकि कृषि आधारित वैकल्पिक व्यवसाय को किसान अपनाए और होने वाले घाटे को कम किया जा सके
खेती को लाभ का धंधा बनाने के सारे जतन मौसम की मार के आगे बेबस नजर आते है कभी भारी ओलावृष्टि और कभी सूखे की मार से नरसिंहपुर का अन्नदाता हमेशा ही दो चार होता रहता है और यही वजह है कि अब लोग पुराने पुश्तेनी खेती के व्यवसाय से पलायन कर रोजगार की तलाश भी भटकने को मजबूर है