महिला को बेशर्म कहने वाली पुलिस
 ABHADRA BHASHA

भोपाल पुलिस का अभद्र चेहरा सामने आया 

गृह मंत्री जी पुलिस को सुधारिए 

सरकार को बदनाम करवाती पुलिस 

 

गृह मंत्री बाला बच्चन जी ये खबर आपको समर्पित है  देश भक्ति और जनसेवा के नारे तले काम करने वाली राजधानी भोपाल की पुलिस का एक दूसरा ही चेहरा सामने आया है  भोपाल पुलिस सड़कों पर लोगों से मारपीट करती है और पुलिस के अधिकारी फोन पर महिलाओं  से बदतमीजी से पेश आते हैं   मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कुछ पुलिस वाले लगातार ऐसी हरकतें कर रहे हैं जिससे सरकार की मट्टी पलित हो  देख लीजिये कहीं इस सब के पीछे भी तो बीजेपी का हाथ नहीं है  

गृह मंत्री बाला बच्चन जी हमारी धारणा है कि मध्यप्रदेश पुलिस में 70 प्रतिशत लोग बहुत संजीदा है और जन हित और पीड़ित लोगों को न्याय दिलवाने की कोशिश करते हैं   लेकिन राजधानी भोपाल  पुलिस के कुछ अधिकारी किस भाषा मे बात करते  हैं ये बाद में बताएँगे  पहले देखिये इस वीडिओ को  लिंक रोड नंबर एक पर दो लड़कों में कहासुनी हो गई  बस फिर क्या था पुलिस ने सड़क पर ही इनका ठुकाई पिटाई कार्यक्रम शुरू कर दिया  और तबियत से इनकी धुनाई कर दी   एक शख्स जो इस घटना का वीडिओ बना रहा था पुलिस ने ऐसा करने पर उसे भी धमकाया  लगता है ये पुलिस या तो  ताबदलों से त्रस्त हो कर या फिर कांग्रेस सरकार के खिलाफ आम लोगों में आक्रोश पैदा करने के लिए जानबूझकर ऐसे काम कर रही है  पुलिस व्यवस्था एकदम चरमरा सी गई है    

राजधानी पुलिस का दूसरा चेहरा भी देखिये  रात में नींद में खलल पड़ने पर पुलिस के एक अधिकारी न सिर्फ पीड़ित महिला से बदतमीजी से पेश आए  बल्कि उस पर मुकदमा ठोककर 15 दिन के लिए जेल भेज देने की धमकी भी दी  जिस अफसर की जिम्मेदारी हर पक्ष को सुनकर मामला दर्ज करने की है न की किसी के बारे में भी राय कायम करने की  उसका ये बर्ताव बताता है कि पुलिस जनता के बीच में जानबूझकर सरकार की छवि खराब कर रही है  भोपाल के मिसरोद इलाके के  S D O P अनिल त्रिपाठी साहब की जुबान कैसी है  इसका ऑडिओ वायरल हो चुका है लेकिन आला अधिकारीयों को इससे क्या लेना देना 

पुलिस का एक अफसर एक पीड़ित महिला से कहे  तुझे शर्म नहीं आती  रात में पुलिस को परेशान करती है   तो मंत्री बाला बच्चन जी जनता को बताएं कि आपके राज में पीड़ित जनता परेशानी में अधिकारीयों को कब फोन लगाए और कब न लगाएं और हाँ मंत्री जी ये तो राजधानी पुलिस का एक नमूना भर है  जब भोपाल के ये हाल हैं तो सोचिये बाकि प्रदेश का हाल क्या होगा