आरजीपीवी में आर्थिक गड़बड़ी
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में करोड़ो रुपए अनियमितता होने का मामला सामने आया है। जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय का पैसा बर्वाद कर दिया। जिसमें खुद के और विवि से जुड़े लोगों की सुविधाओं पर भी पैसा खर्च करने से परहेज नहीं किया। यह अनियमिता कुलपति पीयूष त्रिवेदी के कार्यकाल की ही हैं। जिसमें लाइट बिजली से लेकर आवास और टैवल्स के लिए किए गए भुगतान में भी गड़बड़ी सामने आई है।
यह गडबड़िया शासन द्वारा कराए गए विश्वविद्यालय के आॅडिट के बाद सामने आई हैं। खास बात यह है एक मामले में ही आठ करोड़ के भुगतान पर आॅडिटर्स ने आपत्ति दर्ज कराई है। जबकि यह आॅडिट साल 2009-10 का है। यदि अन्य वर्षों का आॅडिट रिपोर्ट सामने आती है तो इस प्रकार हुई गड़बड़ी और भी बड़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक आरजीपीवी में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय व अन्य विश्वविद्यालयों की तरह शासन ने रेसिडेंस आॅडिटर्स की व्यवस्था नहीं की है। इसके चलते प्रशासन बिना आॅडिट के भुगतान करता रहता है। वहीं अन्य विवि में बिना आॅडिट हुए भुगतान नहीं होता है। इस मामले को लेकर विवि के कुलपति त्रिवेदी और रजिस्ट्रार आरके सिंघई से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ने कॉल रिसीव नहीं किया।
राजधानी परियोजना प्रशासन को विवि में किए गए निर्माण के लिए दो चैकौ के माध्यम से एडवांस में ही आठ करोड़ की राशि का भुगतान कर दिया गया था। हैरान करने वाली बात यह है कि इसके लिए विवि के और राजधानी परियोजना प्रशासन के बीच किसी प्रकार का अनुबंध नहीं किया गया था। इस भुगतान को लेकर आॅडिट रिपोर्ट में छह बिंदुओ पर सवाल उठाए गए थे। जिनका जवाब विवि द्वारा नहीं दिया गया।
विवि प्रशासन द्वारा कार्यपरिषद के सदस्यों को निजी होटल्स में रुकवान पर भी सवाल खड़े किए गए। जिसमें कहा गया कि मप्र शासन के नियमानुसार जिन स्थानों पर मप्र पर्यटन विकास निगम के होटल स्थित हैं वहां पर निजी होटल्स का सहारा लेना अनुचित हैं। इस रिपोर्ट में कुछ बिलों के भुगतान पर संदिग्धता जाहिर की है। आरजीपीव द्वारा कार्यपरिषद को दो सदस्यों को होटल जहांनुमा में ठहराया गया। वहीं एक अन्य सदस्य दीपक सुल्या के लिए होटल के स्पा विलनेश सेंटर के अलावा ‘वैक्सिंग फुल आर्म’ और ‘वैक्सिंग फुल लेग वाई फीमेल’के इंतजाम किए गए थे। जिमसें विवि द्वारा हजारों रुपए फूंके गए।
इस रिपोर्ट में एक अजीबो गरीब मामला भी सामने आया है। जिसमें एक ही सदस्या दीपक सुल्या के लिए होलट लेक व्यू में रूम बुक करााया था। जिसमें सिर्फ खाने का बिल ही 7725 रुपए का आया है। इसमें आॅडिटर्स ने साफ कहा गया है कि यह खाना एक व्यक्ति द्वारा नहीं खाया गया है बल्कि समूह में खाया गया है। इस तरह विश्वविद्यालय ने कई मामलों में पैसा बर्वाद किया है। अब इस बात को लेकर सभी ने चुप्पी साध ली है।