सत्ता केवल लोकसेवा के लिये
सत्ता केवल लोकसेवा के लिये
ऐसा मानते हैं शिवराज सिंह एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सच्ची लोक सत्ता वही है जो लोक विचारों, आकांक्षाओं का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि लोक के साथ सत्ता का निरंतर संवाद ही सामाजिक सरोकारों को पूरा करने का अवसर देता है। श्री चौहान भोपाल के हिन्दी भवन में आईसेक्ट विश्वविद्यालय और पहले पहल'' पाक्षिक द्वारा और लोकसत्ता में सामाजिक सरोकार'' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय विमर्श में समावेशी विकास के प्रयोग'' सत्र को संबोधित कर रहे थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धारणा मिटना चाहिये कि सत्ता सुख के लिये होती है। सत्ता केवल लोकसेवा के लिये होती है। लोक सेवा ही सत्ता का सर्वोच्च कर्तव्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में लोक की भूमिका को केवल मत देने तक सीमित रखना देश और प्रदेश के हित में नहीं है। लोगों के कल्याण के लिये बनने वाली विकास योजनाओं में उनकी सक्रिय भूमिका और भागीदारी होना चाहिये। इसी सोच के माध्यम से सत्ता के सामने सामाजिक सरोकार रेखांकित होते हैं और उन्हें पूरा करने की रणनीतियां बनती है।मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की कई योजनाओं का उदाहरण देते हुये कहा कि अच्छी योजनाएं लोगों के साथ लगातार संवाद के बाद ही बनती है। उन्होंने कहा कि संबंधित हितग्राही समुदाय से चर्चा किये बिना और उनकी प्राथमिकताओं को समझे बिना बनाई गई योजनाओं के विफल होने की संभावनाएं ज्यादा रहती है। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, उच्च शिक्षा ऋण गारंटी योजना, तीर्थदर्शन योजना, बुजुर्गों को भोजन देने की योजना की चर्चा करते हुये कहा कि इन योजनाओं की बुनियाद लोक संवाद से ही बनी। इसके लिये संभावित हितग्राही समुदाय के सदस्यों की पंचायतें बुलाकर उनसे संवाद का सशक्त मंत्र उपलब्ध कराया गया है। यह सिलसिला जारी है। उन्होंने युवा पंचायत, केश शिल्पी और अर्द्धघुमक्कड़ जातियों, जनजातियों की प्रस्तावित पंचायतों की भी चर्चा की।श्री चौहान ने कहा कि जब तक राजनैतिक नेतृत्व संवेदनशील नहीं होगा तब तक सामाजिक सरोकारों को पूरा नहीं किया जा सकता। संवेदनशील नेतृत्व ही सामाजिक सरोकार के प्रति सजग रह सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास योजनाएं व्यवहारिक बननी चाहिये। यह तभी संभव है जब संबंधित समुदाय के साथ आत्मीय संवाद स्थापित हो।मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक सत्ता का अहंकारी स्वभाव न तो विकास के लिये सही है और न लोक कल्याण के लिये। लोक सेवा की भावना में अहंकार का छोटा सा अंश भी नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रत्येक योजना और नीति को लोक सेवा की भावना के साथ बनाया गया है। उन्होंने बताया कि 18 जनवरी को बेटियों और महिलाओं के अधिकारों के प्रति चेतना लाने और उनकी सुरक्षा का संकल्प लेने के लिये नारी सुरक्षा मार्च का आयोजन किया गया है। प्रदेश में सामाजिक सरोकार को निभाते हुये हासिल किये गये विकास कीर्तिमानों की चर्चा करते हुये श्री चौहान ने कहा कि अगले चार महीनों में प्रदेश में 24 घंटे बिजली उपलब्ध होगी। इसी 20 जनवरी से जबलपुर में 24 घंटे बिजली देने की शुरूआत होगी।वरिष्ठ पत्रकार विजयदत्त श्रीधर ने राष्ट्रीय विमर्श के आयोजन के उद्देश्य की जानकारी दी। इस अवसर पर हिन्दी सेवी कैलाशचंद्र पंत, चिंतक एवं लेखक विजय बहादुर सिंह, शिक्षाविद् रमेश दवे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लोकसत्ता के सामाजिक सरोकार'' विषय पर प्रकाशित पहले पहल के विशेष अंक का विमोचन किया। यह आयोजन स्वामी विवेकानंद की 150वां जन्म समारोह आयोजन की श्रंखला में किया गया। राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन दो सत्रों में हुआ। पहला सत्र लोकसत्ता के सामाजिक सरोकार'' को समर्पित था। दूसरे सत्र का विषय था समावेशी विकास के प्रयोग''।