राजनीति के कारण टूटी परम्परा
परम्पराओं , रीति रिवाजों की अनदेखी
विश्व के प्रसिद्ध दशहरे की छः सौ साल पुरानी परम्परा राजनीति के कारण टूट गई हैं हालाँकि गावं के लोग इससे डरे हुए हैं। और उन्हें आशंका हैं की आने वाले समय मे परम्परा टूटने के कारण दैवीय प्रकोप झेलना पड़ेगा यह दशहरा कोई एक दिन नहीं मनाया जाता बल्कि 75 दिन पुरे रीती - रिवाजों के साथ मनाया जाता हैं यह परम्परा टूटने का कारण सिर्फ इतना था की मंत्री जी के पास समय नहीं तो उन्हों रीतिरिवाजों परम्पराओं को नजर अन्दाज किया
बस्तर के विश्व प्रसिद्ध दशहरे की छैः सौ साल पुरानी परम्परा को राजनीतिक कारणों से आज तोड दिया गया अब इसे आने वाले समय मे दैवीय प्रकोप से जोड कर भी देखा जा रहा है अपनी अनोखी परम्पराओं रीति रिवाजों और 75 दिन लम्बे चलने वाले दशहरे पर्व की छैः सौ साल से चली आ रही परम्परा आज खंडित हो गई इससे आदिवासी समुदाय मे भारी रोष है दरासल आज इस दशहरे की पहली पाट जात्रा रस्म अदा की जानी थी. इसमे राज परिवार से पूजा की थाली नये वस्त्र व अन्य पूजन सामग्री माँ दन्तेश्वरी मन्दिर जाती हैं जिसे पूरे रीति रिवाज और अनुष्ठान कर राजा भेजता है बस्तर के राजा को माटी पुजारी यानी प्रमुख पुजारी माना जाता है यह अनुष्ठान 11 बजे होना था मगर कांग्रेस सरकार के बस्तर प्रभारी मंत्री प्रेमसाय जो अन्य आयोजनो मे जाने की जल्दबाजी मे थे नौ बजे ही कुछ ही लोगों की उपस्थिती मे यह अनुष्ठान करवा दिया जिसमे न तो माझी मुखिया ही पहुंच पाये और ना ही राज महल से पूजा की थाली ही पुहुंची मंत्री जी आदिवासियों की भावनाओं को दरकिनार कर जल्द बाजी में थे दरासल बस्तर राजा कमलचन्द्र भंजदेव भाजपा से जुडे हैं साथ ही वे पिछली सरकार मे युवा आयोग के अध्यक्ष भी थे अब यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस सरकार के मंत्री एवं स्थानीय नेताओं ने जानबूझ कर इन रीतिरिवाजों परम्पराओं को नजर अन्दाज किया हैं साथ ही अपनी व्यस्तता के कारण निर्धारित महूरत से पहले ही यह पाट जात्रा विधान को सम्पन्न करा दिया.