कब गिर जाए भवन कोई भरोसा नही
शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी जी आपसे बहुत उम्मीदें नहीं हैं फिर भी एक स्कूल की व्यथा कथा देख लीजिये इस स्कूल की हालत आपकी सरकार जैसी है जरा सी हवा कई किस्म के अंदेशों को जन्म दे देती है स्कूल में बारिश का पानी भरे या स्कूल की छत उड़ जाए इससे भोपाल में बैठी सरकार को क्या लेना देना मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों का हाल किसी से छुपा नहीं है इसके बावजूद मंत्री और अफसर अपने एजेंडों को पूरा करने में लगे रहते हैं कई जगह तो ये स्कूल आफत के स्कूल बन गए हैं इनकी छतें हवा में हिलती रहती हैं बैतूल जिले की कोथलकुण्ड पंचायत के मालेगाँव में बच्चे आफत की पाठ शाला में बैठकर नैतिकता का पाठ पढ़ रहे है गाँव का प्राथमिक स्कूल ऊंची पहाड़ी पर स्थित है जिसकी छत स्कूल सत्र प्रारंभ होने के कुछ दिन बाद हवा पानी के कारण उड़ गई और स्कूल खतरनाक स्थिति में पहुँच गया बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन इसी क्षतिग्रस्त भवन में स्कूल लगा रहा है ज़रा सी भी हवा चली नहीं की बच्चों की जान पर बन आती है
बारिश और तेज हवा के कारण स्कूल की छत उड़ गई फिर भी उड़ी हुई छत के नीचे ही स्कूल लगाया जा रहा है और बच्चो की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है बची हुई स्कूल की छत पर टीन और बल्ली लटकी हुई है जो हवा चलने पर बच्चो पर गिर सकते हैं इस स्कूल में कुल 71 बच्चे पढ़ते है उनके बैठने के लिए उचित व्यवस्था नही है छत उड़ जाने की वजह से एक छोटे से कमरे में बच्चों को बिठाया जा रहा है ऐसे में क्या पढाई होती होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है
स्कूल की उड़ती और हिलती छतें देखकर अधिकारी भी नींद से जाग गए और स्कूल भवन की तत्काल मरम्मत कराने का भरोसा दे रहे हैं पर सवाल यह उठता है कि बारिश के पहले ये काम क्यो नही कराया गया सरकार कभी भोपाल के वल्लभ से निकलकर इन स्कूलों का जायजा भी ले लिया करें ताकि व्यवस्था दुरुस्त हो सके या फिर इन्तजार करें किसी बड़ी दुर्घटना होने का