एम पी में सरकारी पट्टे की भूमियों के अभिहस्तांकन की नीति
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में भोपाल में सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में सरकारी पट्टे की भूमि के अभिहस्तांकन, कम्पनियों के लिये अर्जित भूमियों के बंधक रखे जाने तथा सौर ऊर्जा पार्क विकास संबंधी नीतियों को मंजूर किया गया और अन्य निर्णय लिये गये।भूमि अभिहस्तांकनउद्योगों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न उद्योंगों को जो शासकीय भूमि आवंटित की गई है, उनमें से यदि कोई उद्योग/ निवेशक ऐसी भूमि को बंधक रखकर परियोजना के लिये ऋण प्राप्त करना चाहता है तो शासन द्वारा उसे कतिपय शर्तों पर ऋण प्राप्त करने की अनुमति दी जाये।इसके अनुसार भूमि पर राज्य सरकार को देय प्रभार प्रथम दायित्व होंगे, किसी बैंक/ वित्तीय संस्था या अन्य को नहीं। भूमि के अभिहस्तांकन के बाद भी भूमि का उपयोग यथापूर्व प्रयोजन के लिये ही किया जा सकेगा। पट्टाधारी से किसी राशि की वसूली के लिये किसी न्यायालय/ प्राधिकरण/ प्राधिकारी के समक्ष वाद अथवा दावे में राज्य सरकार आवश्यक पक्षकार होगी। अभिहस्तांकिती ऐसा वाद या दावा राज्य सरकार को पक्षकार बनाये बिना प्रस्तुत नहीं कर सकेगा। अभिहस्तांकिती अपनी राशि सर्वप्रथम अभिहस्तांकित भूमि पर स्थित समस्त चल सम्पत्ति से वसूल कर सकेगा। इसके बाद भूमि पर स्थापित संरचना से वसूल कर सकेगा। ऐसी वसूली के लिये भूमि अंतिम लक्ष्य होगी। हस्तांतरण के समय भूमि के बाजार मूल्य अथवा सिंचित भूमि के लिये प्रचलित निर्धारित दर के अनुसार संगणित मूल्य में से जो अधिक हो, के आधार पर भूमि का मूल्यांकन किया जायेगा। संगणित मूल्य तथा आवंटन की दिनांक को आवंटिती द्वारा प्रब्याजि के भुगतान की राशि के अन्तर की राशि का 20 प्रतिशत हस्तांतरण शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में करना होगा। अभिहस्तांकिती भूमि के संबंध में सभी पर्यावरणीय दायित्वों के निर्वहन के लिये उत्तरदायी होगा।राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कम्पनी के लिये अर्जित की गई निजी भूमि के संदर्भ में कम्पनी की परियोजना के लिये धन जुटाने के उद्देश्य से भूमि को बंधक रखने/ अन्तरण करने की अनुज्ञा दिये जाने के संबंध में मार्गदर्शी नीति को मंत्रि-परिषद् ने मंजूरी दी। कुछ शर्तों पर यह अनुमति दी जा सकेगी। ये शर्तें लगभग अभिहस्तांकन शर्तों की तरह ही हैं।मंत्रि-परिषद् ने सौर ऊर्जा पार्कों के विकास के लिये नीति को मंजूरी दी।सौर ऊर्जा पार्कों की स्थापना राज्य शासन द्वारा स्वयं अथवा पीपीपी माध्यम से की जा सकेगी। सौर ऊर्जा प्रणालियों के अन्तर्गत उत्पादन तथा विनिर्माण इकाइयों और संबंधित सहायक इकाइयों के संवर्धन के लिये सौर ऊर्जा पार्कों को प्रोत्साहित किया जायेगा। प्रदेश में उचित स्थानों पर उनकी स्थापना की जायेगी। लघु तथा मध्यम उद्यम क्षेत्र को सौर प्रणालियों के विभिन्न कलपुर्जों तथा प्रणालियों के विनिर्माण के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। राज्य सरकार सौर प्रौद्योगिकी पार्कों की स्थापना के लिये भूमि आवंटन तथा अत्यावश्यक सुविधाओं के सृजन को प्राथमिकता देगी।सौर ऊर्जा पार्क को सौर ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन परियोजना और सौर ऊर्जा उपकरणों के विनिर्माण एवं सहायक इकाइयों के एकीकृत क्षेत्र के रूप में विकसित किया जायेगा। सभी सौर ऊर्जा आधारित विद्युत परियोजनाएँ सौर फोटोवोल्टेइक/ सौर ताप तथा सौर ऊर्जा परियोजनाओं से संबंधित उपकरणों की विनिर्माण इकाइयों या सहायक इकाइयों को इस नीति में लाभ प्राप्त करने की पात्रता होगी। नीति में केवल नये संयंत्रों तथा मशीनों को ही स्थापित किये जाने की पात्रता होगी।सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिये किसी व्यक्ति, फर्म, सोसायटी, संस्था, पंजीकृत कम्पनी को आवेदन प्रस्तुत करने की पात्रता होगी। कम्पनियों के माध्यम से भी परियोजना क्रियान्वित कर न्यूनतम टर्न ओवर आवेदनकर्ता को आवेदित क्षमता पर पाँच करोड़ रुपये प्रति मेगावाट होना आवश्यक है। आवेदनकर्ता को आवेदित क्षमता के 50 प्रतिशत क्षमता के सौर संयंत्र की स्थापना का अनुभव होना आवश्यक है। सौर पार्क के विकास के लिये आयुक्त कार्यालय, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा नोडल कार्यालय होगा।