शमशान घाट को लेकर लापरवाह प्रशासन
सरकार विकास के लाख दावे करे लेकिन हकीकत कुछ और ही है | हालत यह है कि कई गॉंवों में अब तक शमशान घाट तक नहीं है और किसी की मृत्यु हो जाए तो ग्रमीणों को मज़बूरी में खेतों में अंतिम संस्कार करना पड़ता है | वहीं बरसात में खेतों में फसल की बुवाई होने से समस्या और भी बढ़ जाती है | ऐसे में अंतिम संस्कात के लिए लोगों को आसपास के कस्बों और शहरों का रुख करना पड़ता है |
सीहोर जिले की आष्टा तहसील के ग्राम पंचायत जताखेड़ा अंतर्गत आने वाले बाउपुरा गांव के निवासी श्मशान घाट नहीं होने के कारण बहुत परेशान हैं |शमशान घाट नहीं होने के कारण गांव में किसी की मृत्यु होने पर खेतों में अंतिम संस्कार करना पड़ता है | वही बारिश में मृत्यु होने पर ग्रामीणों को गांव से 5 किलोमीटर दूर आष्टा शहर के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करना पड़ता है | ग्रामीणवासी पार्वती बाई कुशवाहा का दाह संस्कार करने गांव से बाहर दूर शहर के मुक्तिधाम में आये थे | मुक्तिधाम में ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कोई शमशान नही है | और गांव के पास खेत पर दाह संस्कार करते है | लेकिन बारिश में खेतों में फसल बोयी जाती है | वहां तार बाँध दिए गए हैं | ऐसे में शव को आष्टा लाना पड़ा |
गांव में श्मशान की सही जगह कौनसी है किसी को पता नहीं | नेताओं और अधिकारीयों से कई बार ग्रामीण अपनी शिकायत कर चुके हैं लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला | पहले लोग जहाँ अंतिम संस्कार करते थे अब वहां तक जाने का रास्ता ही नहीं बचा है
ऐसे में बारिश में अंतिम संस्कार गांव से दूर शहर के मुक्तिधाम में किये जा रहे हैं | ग्रामीणों का कहना है कि हम अपने पूर्वजों के समय से यहाँ दाह संस्कार करते आये है | लेकिन अब कुछ बीते वर्षो से यह दाह संस्कार करने में परेशानी हो रही |