अपराधों के मामले में है सबसे संवेदनशील थाना
यहाँ आकर सस्पेंड और बदनाम होते हैं थानेदार
एक ऐसा पुलिस स्टेशन है जहां कोई भी थानेदार के रूप में पदस्थ नहीं होना चाहता | इस थाने में जो भी थानेदार आये किसी न किसी कारण से उनको कार्रवाई का शिकार होना पड़ा | इस थाने में आये थानेदारों को या तो कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है | या फिर बदनामी झेलनी पड़ती है | यह थाना आपराधिक मामलों में सबसे संवेदनशील है | अवैध खनन , जुआ सट्टे का कारोबार और चोरी लूट की वारदात यहां आम बात हो गई है |
क्या किसी थाने की कुर्सी कलंकित हो सकती है | बीते कुछ सालो में जो भी थानेदार आया | उसे किसी न किसी वजह से कुर्सी से हाथ धोना पड़ा | और खुद की वर्दी पर भी बदनामी का दाग झेलना पड़ा | यह जानकार आपको भी हैरानी हुई होगी | पर ये सच है | यह गाडरवारा थाना है | नरसिंहपुर जिले का यह थाना आपराधिक मामलों में सबसे संवेदनशील माना जाता है | अवैध खनन , जुआ सट्टे का कारोबार और चोरी लूट की वारदात यहां आम बात है | पिछले डेढ़ साल के आंकड़ों को देखा जाए तो 17 मामले अवैध खनन , 2 बड़े घोटाले , 4 अपहरण 9 हत्याएं 11 महिला सम्बन्धी अपराध और जुआ एक्ट के तहत 19 मामले दर्ज हैं | जिनके कार्यवाही के नाम पर कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही सामने आई | और थाने में पदस्थ लगभग हर थानेदार को किसी न किसी वजह से लाइन अटैच कर दिया गया |
आइये नजर डालते है पिछले कुछ साल के आकड़ों पर | यहां पदस्थ थानेदार आरडी मिश्रा 2011, पीएस ग्रेवाल 2011, शैलेश मिश्रा 2013, उमेश तिवारी2015, मुकेश खम्परिया 2016, अरविंद दुबे2018 ,संजय दुबे 2019 ,अरविंद चौबे 2019, रामफल गोंड 2019, गाडरवारा टी आई के पद से हटाया जा चुका है | इसे लेकर खुद जिले के ए एसपी बताते है की एक दर्जन से अधिक थाना प्रभारियों को लगातार हटाया गया है | हालाकि इसके पीछे वह इन प्रभारियों की कर्तव्यनिष्ठा में चूक होना बता रहे हैं | जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें हटाया गया है | और यही भय नरसिंहपुर में पदस्थ हर नगर निरीक्षक को सताता है | कि कहीं उनके हिस्से में यह कांटो भरी कुर्सी न आ जाए |