ज्योतिर्मय प्रज्ञा-पुरुष कलाम , शिवराज सिंह चौहान
कुछ व्यक्तित्व इतने विराट होते हैं कि उनके बारे में कुछ कहने में भाषा पंगु हो जाती है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय ऋषि परम्परा के ऐसे ही महापुरुष थे। आधुनिक भारत के इतिहास में 27 जुलाई 2015 एक ऐसे दिन के रूप में याद किया जाएगा, जब भारत रत्न डॉ. कलाम के रूप में अपने ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञान से देश को आलोकित करने वाली ज्योति परम ज्योति में विलीन हो गयी।डॉ. अब्दुल कलाम क्या थे, यह कहने से ज्यादा यह कहना उपयुक्त होगा कि वह क्या नहीं थे! भारतीय जीवन मूल्यों के मूर्तिमंत स्वरूप डॉ. कलाम एक ज्योतिर्मय प्रज्ञा-पुरुष थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. कलाम उत्कृष्ट वैज्ञानिक, मौलिक विचारक, गंभीर आध्यात्मिक साधक, कवि, संगीत रसिक, कुशल वक्ता, प्रशासक और सबसे बड़ी बात, संवेदनाओं से परिपूर्ण एक महामानव थे।महान लोग उन लोगों के प्रति सदा कृतज्ञ रहते हैं, जिनसे उन्होंने कुछ सीखा हो। डॉ. कलाम किसी भी सार्वजनिक मंच पर अपने प्राथमिक शिक्षक श्री शिव सुब्रमण्यम और वैज्ञानिक गुरु प्रो.सतीश धवन के प्रति सम्मान व्यक्त करना कभी नहीं भूलते थे। वह कुरान और गीता दोनों ही समान भाव से पढ़ते थे। डॉ. कलाम मिसाइल मैन के नाम से जाने जाते थे। स्वदेशी तकनीक से बनी अग्नि और पृथ्वी मिसाइल उनकी ही देन है। अंतरिक्ष कार्यक्रम से वह निकट से जुड़े थे। पोखरण विस्फोट में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।इस प्रज्ञा पुरुष की पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं थी। भारत को 2020 तक एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने का उन्होंने न केवल सपना देखा था, बल्कि उसे साकार करने की ठोस रूपरेखा 'विजन-2020' के रूप में सामने रखी।उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न बनाया। डीआरडीओ तथा इसरो जैसे उत्कृष्ट वैज्ञानिक संस्थान अपनी श्रेष्ठता के लिए उनके ऋणी रहेंगे।डॉ. कलाम चाहते थे कि भारत के गाँवों में शहरों जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हों। अपनी इस योजना को उन्होंने प्रॉविजन ऑफ अर्बन फेसिलिटीज इन रुरल एरियाज (पुरा) नाम दिया। उनकी पुस्तकों ने देश के युवाओं में नये उत्साह और आत्मविश्वास का संचार करने के साथ ही उनमें राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का संकल्प जगाया।हमारा सौभाग्य है कि मध्य प्रदेश की धरती पर डॉ. कलाम के मुबारक कदम कई बार पड़े। यहाँ अपनी हर यात्रा में उन्होंने हमें विकास के लिए ठोस मार्गदर्शन देने के साथ ही नया जोश भी जगाया। प्रदेश के संपूर्ण विकास के लिए उन्होंने हमें जो 11 बिन्दु सुझाये उनसे हमे मध्यप्रदेश को देश का सबसे तेजी से विकसित होने वाला प्रदेश बनाने में बहुत मदद मिली।मैं जब-जब कलाम साहब से मिला, उनकी सहजता और विनम्रता से मुझे उनके बड़ेपन का अहसास हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी के वह गहरे मित्र थे। वाजपेयीजी से उनकी केमिस्ट्री गजब की थी। अटलजी के प्रधानमंत्रित्व काल में डॉ. कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से विभूषित किया गया। राष्ट्रपति के रूप में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को उन्होंने सुशोभित किया। यह एक कृतज्ञ राष्ट्र का उनके प्रति सम्मान भाव था। मेरी मान्याता में डॉ. कलाम सभी पदों, पदवियों, सम्मानों और विभूषणों से ऊपर थे। मेरी कोशिश होगी कि हम इस प्रज्ञा पुरुष की स्मृति को भावी पीढ़ी के लिये प्रेरणादायी बनाने का कोई उपक्रम निकट भविष्य में ही करें।अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित करने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को मध्यप्रदेश की जनता और मेरी ओर से कोटिश: नमन।(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री है)