पैर पर रोटी रखकर खाने को मजबूर बच्चे
भ्रष्ट सिस्टम की भेंट चढ़ी खाने की थाली
सरकार दम है तो ऐसे लोगों को सबक सिखाएं
कमलनाथ जी ये तो इंतहा है कि आपके राज में बच्चों को पैर पर रोटी रखकर खाना पड़ रही है | ऐसा लग रहा है सिस्टम का भट्टा बैठ गया है | बच्चों को
स्कूल में हाथों में खाना दिया जा रहा है | ऐसा नहीं की बच्चों के लिए थाली नहीं है | थाली भी है | लेकिन आपके कर्मचारियों की नियत ठीक नहीं है
इनका बस चले तो ये बच्चों के हाथ से निवाला भी छीन ले जाएँ |
मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ये दृश्य आपके राज का है | आपके स्कूलों में बच्चों को ऐसे हाथ में खाना दिया जाता है जैसे भीख दी जा रही हो | इन गरीब बच्चों को आपकी सरकार के कारिंदे थाली तक नहीं देते हैं | अब आप ही बताइये ये रोटी कहाँ रखें | कोई जगह है नहीं तो पैर पर ही रख लेते हैं | ये अबोध बच्चे न विरोध कर सकते हैं और न किसी से कुछ कह सकते हैं | इनकी थाली तक पर तो भ्रष्ट तंत्र ने कब्ज़ा कर लिया है | जब थाली ही गायब है तो खाने की क्वालिटी पर बात करना ही बेनामी है |
आपके शिक्षा विभाग में तो तबादलों का खेल चल रहा है ऐसे में गरीब बच्चों के खाने की सुध कौन ले | आपके मंत्रियों के लिए ये सब छोटी मोटी बातें है | सागर के जैसीनगर संकुल केंद्र के तोड़ा तरफदार गांव में संचालित शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के लिए ये सब अब आम बात है | लेकिन सभ्य समाज में बच्चों और अन्न का इससे बड़ा अनादर कोई दूसरा हो नहीं सकता | इस सबके लिए जवाबदार आपकी सरकार के कारिंदों को पता ही नहीं होता कि उनकी नाक के नीचे हो क्या रहा है | इस सब के लिए जो जिम्मेदार हैं | पहले उनकी भी सुन लेते हैं |
बच्चों को हाथ में खाना देने के मामले के दृश्य आप एक बार और देखिये की इन्हें खाने में दिया क्या जा रहा है एक या दो सूखी रोटी और थोड़ी से सब्जी | सब्जी भी जिन बच्चों को चाहिए तो उन्हें कटोरी या बर्तन घर से लाना पड़ेगा | मध्यान्ह भोजन में इससे बड़ी लापरवाही और क्या होगी की बच्चों का खाना तक भ्रष्ट लोगों के पेट में समा रहा है | जिनका काम खाना बनाना और बच्चों को खिलाना है उन्होंने सब कुछ ठेके पर दे रखा है | इस संबंध में स्कूल के प्राचार्य राजेश दुबे का कहना है | इस संबंध में कई बार एमडीएम | अध्यक्ष और बीआरसी को भी बताया गया लेकिन किसी तरह का सुधार नहीं हुआ और मध्यान भोजन समूह संचालक के लोग बच्चों को हाथों में भोजन देकर चलते बनते हैं | मध्यान भोजन की समिति से भी इस संबंध में शिकायत की लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ | मुख्य्मंत्री कमलनाथ जी ये तो नमूने की एक तस्वीर है कई जगह तो हालात इससे भी बदतर है | समय रहते कुछ कीजिये नहीं कुछ भ्रस्ट लोग आपकी सरकार के अच्छे कामों पर बच्चों का निवाला डकार कर कालिख लगाने से बाज नहीं आएंगे|