भारी बारिश से चंबल में बाढ़ का कहर
मध्य प्रदेश में भारी बारिश से हालात बेकाबू हैं | राजस्थान सीमा से लगे जिलों में स्थिति कुछ ज्यादा खराब है | अतिवर्षा से गांधी सागर बांध के 19 गेट खोलने से चंबल नदी के हालात बिगड़ गए हैं | इसकी वजह से कोटा बैराज से 7 लाख क्यूसेक पानी चंबल नदी में छोड़ा जा रहा है | इसका सीधा असर श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले के चंबल के किनारे पर बसे गांवों पर पड़ा है | जहाँ सेना को रेस्क्यू ऑपरेशन चलना पड़ा है |
रविवार को भिंड ,मुरैना और श्योपुर जिले के 100 से अधिक गांव पानी से घिर गए | श्योपुर और भिंड में बचाव कार्य के लिए सेना बुलानी पड़ी। गांवों को खाली कराकर अब तक सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है | आज सुबह भी सेना और एस डी आर एफ की टीमों ने भिंड के अटेर में ज्वाइंट रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया | अटेर के नावली वृंदावन गांव में चंबल नदी का पानी घुस गया है | ऐसे में लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए सेना ने मोर्चा संभाला हुआ है | सुबह से ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है | चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान 122 मीटर से 3 मीटर ऊपर यानी 125 तक पहुंच गया है | बाढ़ के खतरे को देखते हुए अटेर के 5 गांवों से करीब 400 लोगों को बाहर निकाला गया |
श्योपुर की दो प्रमुख नदियां चंबल और पार्वती खतरे के निशान पर हैं | श्योपुर में तो हालात यहां तक बिगड़ गए कि पाली-श्योपुर हाइवे के करीब एक किमी हिस्से की निगरानी के लिए बोट चलानी पड़ी | उधर, चंबल नदी में आए उफान से पाली हाइवे पर चिंधाड़ की पुलिया रविवार तड़के 4 बजे डूब गई और श्योपुर का राजस्थान से पूरी तरह संपर्क कट गया | यहां चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान तक जा पहुंचा है |
मुरैना में पुराने राजघाट पुल के ऊपर से चंबल बह रही है | इससे 13 साल पहले यानी 2006 में ऐसा हुआ था | लगातार पानी बढ़ने से चंबल किनारे का गांव महूखेड़ा पानी में डूब गया | हालांकि ग्रामीण पहले ही गांव से निकल आए थे | अभी करीब दो दर्जन गांवों में पांच हजार से अधिक लोग गांवों में फंसे हुए हैं | चंबल में पानी बढ़ने से उसके किनारे के 89 गांवों में संकट खड़ा हो गया है | लेकिन यहाँ सेना लगातार लोगों को रेस्क्यू कर रही है|