एक पलंग पर दो मरीज मरीज को बैठाकर लगा रहे हैं बॉटल
डॉक्टर और दवाई ना मिलने से मरीज हो रहे हैं परेशान
सरकार लाख दावे करे पर सरकारी अस्पतालों की तस्वीरें सरकार के दावों की पोल खोल देती हैं | अस्पताल में अव्यवस्था इस कदर है की | एक ही पलंग पर दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है | पलंग की कमी की वजह से मरीजों को बेंच पर बैठकर बॉटल चढ़ाई जा रही है | अस्पताल में डॉक्टर और दवाइयां सही समय पर मिल जाए तो ये आपकी किस्मत है | मंत्री तुलसी सिलावट जी समय मिले तो जरा इन अस्पतालों पर भी ध्यान दीजियेगा | ठीक होने की उम्मीद से आ रहे मरीज और बीमार होकर अस्पताल से जाने को मजबूर है |
चुनाव ख़त्म तो नेताओं की जिम्मेदारी भी ख़त्म | ऐसा हम नहीं इलाज के लिए परेशान हो रहे गाडरवाड़ा के लोग कह रहे है | गाडरवारा का सरकारी अस्पताल अपनी जिंदगी की आखरी सांसे गिन रहा है | भले ही कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश में विकास और बदलाव के लाख दावे करे | लेकिन आए दिन बदहाली की जो तस्वीरे सामने आ रही हैं उससे कमलनाथ सरकार के दावों की पोल खुलती दिख रही है | न तो इस तस्वीर को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज बदल पाये और न ही कमलनाथ सरकार | गाडरवारा के अस्पताल में अव्यवस्थाओं का ऐसा अम्बार लगा हुआ है कि मरीज इलाज़ कराने आये तो और बीमार पड़ जाए | अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज अपना इलाज़ कराने आते हैं | लेकिन उन्हें इलाज़ तो नहीं मिल पाता अगर कुछ मिलता है तो वो है निराशा |
यहां इलाज़ कराने आये लोगों का कहना है कि ये सिर्फ नाम का अस्पताल है यहाँ अस्पताल जैसी कोई सुविधा नहीं है | यहाँ न तो दवाइयां है और न ही डॉक्टर समय पर उपलब्ध हो पाते है | साथ ही साथ अस्पताल में जरूरी उपकरण तक नहीं हैं | एक ही पलंग पर दो दो मरिजों का इलाज चल रहा है | मरीजों को फटे पुराने और बारिश में गीले गद्दों पर इलाज़ कराना पड़ रहा है | न तो चादर है न तकिया | हैरानी की बात तो ये है कि मरीज बेंच पर ही बॉटल लगवाने को मजबूर हैं | मरीजों को कई दिनों चक्कर काटने के बाद भी इलाज़ नहीं मिल पाता है | जब इस बारे में अस्पताल का निरीक्षण करने आये जिला चिकित्सा अधिकारी यू एम खान से बात की गई तो उनका भी मानना है कि अस्पताल में संसाधनों के साथ ही स्टाफ की भी कमी है | जिसकी वज़ह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है |
मंत्री तुलसी सिलावट जी आम आदमी बेहतर स्वास्थ,शिक्षा व्यवस्था के नाम पर वोट तो देता है | लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये बातें और वादे सिर्फ जुमला बनकर रह जाती हैं | और इसका जीता जागता उदाहरण है गाडरवारा का ये अस्पताल है | क्योंकि नेता झूठ बोल सकता है | लेकिन तस्वीरें नहीं |