पाँच महीने राजनेताओं के लिए भारी
शनि-राहु दोनो एक साथ रहेगे वक्री ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री राहू तो हमेशा वक्री रहते है लेकिन इस बार 147वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब तुला राशि में शनि व राहु एक साथ वक्री रहेंगे 140 दिन के लिए वक्री रहेंगे। सूर्य से शनि नवम् स्थान पर होने से कुटिल गति से वक्री होंगे और 13 अप्रेल को जेसे ही सूर्य मेष में आयेंगे एवं शनि तुला में होंगे दोनों ही ग्रह उच्च के होकर एक दूसरे से सप्तम हो जाने पर शनिदेव अतिवक्री हो जायेंगे शनिदेव अपनी उच्च राशि तुला में वक्री हो जाने के कारण अत्याधिक शक्तिशाली हो जायेंगे एवं 8 जुलाई 2013 मार्गी जायेंगे। पूर्व में शनि-राहु की युति तुला राशि में 1865 में 147 वर्ष पूर्व बनी थी। इसके बाद 2161 में 149वर्षों बाद बनेगी। अन्य राशियों में शनि-राहु की युति होती रहती है, किंतु तुला में इस युति का वक्री होना दुर्लभ योग होता है भारतीय राजनीति में उलटफेर की संभावनाएं बनेगी। ईमानदारी से कार्य करने वाले लोगों को ही विजय प्राप्त होगी। प्राकृतिक प्रकोप का भी भय बना हुआ है! शनिदेव अपनी उच्च राशि तुला में है लेकिन जैसे ही अपने पिता सूर्यदेव से नवम या दशम भाव में होने से कुटिल गति व सप्तम्, अष्टम होने पर अतिवक्री हो जाते है। वैसे तो शनि प्रतिवर्ष वक्री होते हे लेकिन राहू के साथ शनिदेव वक्री, अतिवक्री होकर अपने चरम पर जायेगे इस कारण देश दुनिया पर इनका व्यापक प्रभाव होगा। केन्द्र सरकार पर संकट आ सकता है साथ ही व्यापकारिक क्षेत्र में लोहा तेल काली वस्तुओं में गिरावट आ सकती है। राजनेताओं में मतभेद उत्पन्न होंगे। मौसम खराब रहेगा! बारह राषियों पर वक्री शनि $राहू का प्रभाव:- मेष- आर्थिक लाभ स्वजनों से विवाद तुला- दुर्घटना मानसिक कष्टवृषभ - चिन्ता, क्लेष एवं बीमारी वृष्चिक- सन्तान से कष्ट एवं अनायास खर्चमिथुन- कर्ज, अपमान एवं मानसिक कष्ट धनु - धनलाभ एवं धार्मिक यात्राकर्क - विवाद अचानक खर्च की अधिकता मकर - सिर नैत्र में विकार, रोग में वृद्धिसिंह पद हानि, अपयष कुम्भ मानसिक तनाव कार्य में अवरोधकन्या- मन में अशान्ति हृदय रोग मीन - स्वास्थ्य में कमजोरी, चिन्ता शनिवार सांयकाल पीपल के पास सरसों के तेल का चार बत्ती वाला दीपक जलावें महामृत्यून्जय मंत्र का जाप करें। काले कपड़े में काले उड़द लोहा तेल शनिवार को अपने ऊपर से 21 बार उतारकर दान करें। गरीबों को शनिवार को सांयकाल इमरती खिलावें। शनिदेव की पूजा आरधना करें।40 दिन सूर्य देव से पीडित रहेंगे शनि राहू सूर्यदेव वेसे तो शनि के पिता है लेकिन दोनो आपस में एक दूसरे के कट्टर शत्रु है एवं दोनों की एक दूसरे से विपरित भी है सूर्य दिन के स्वामी एवं प्रकाष के प्रतीक है तो शनि रात्री एवं अन्धकार के प्रतीक है इसलिए जब जब सूर्य से शनि प्रथम अर्थात सूर्य$षनि एक ही राषि में हो तो शनिदेव अस्त हो जाते क्योंकि शनि के अन्दर सूर्यदेव का तेज वहन करने की क्षमता नहीं है इसी कारण शनि अपनी चाल बदलकर वक्री, अतिवक्री, शीघ्रगामी, मन्दाचारी एवं कुटिल गति वाले हो जाते है। इस कारण उनके स्वभव में उग्रता और बढ़ जाती है इस बार मकर के सूर्य से मिथुन के सूर्य तक लगातार 140 दिनों तक सूर्यदेव की गिरफ्त में रहकर शनि पीढ़ीत रहेंगे। एैसा इससे शनिदेव कूटिल गति से वक्री, अतिवक्री एवं पुनः वक्री हो जायेंगे। इससे देष एवं प्रदेष की राजनीति प्रभावित होती, कई दिग्गज अपने पद से पदच्युत हो जायेंगे। यह छ माह का समय केन्द्र सरकार के लिए भी महत्वपूर्ण एवं निर्णायक रहेगा।