राजसी परम्परा के अनुसार सिंधिया ने मनाया दशहरा
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परंपरागत शमी पूजन किया | उनके साथ उनके पुत्र महाआर्यमन भी परंपरागत राजसी परिधानों में नजर आये इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजघराने की तलवार से शमी के पेड़ को छुआ और मौजूद मराठा सरदार परिवार के लोगों ने पेड़ के पत्तों को सोने के प्रतीक के तौर पर लूटा | इसके बाद इन पत्तों को एकत्रित करके सिंधिया को वापस किया | इन्हें लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया गोरखी देवघर पहुंचे और पूजा-अर्चना की | सिंधिया राजवंश में यह परंपारा बीते करीब 200 सालों से चली आ रही है |
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राजसी वेशभूषा में अपने बेटे के साथ आज शाम शमी पूजन के लिये मांढरे की माता के पास दशहरा प्रांगण पहुंचे ... इस अवसर पर सिंधिया राजघराने के सरदार और सिपहसाल रहे प्रमुख लोग भी मौजूद थे | सिंधिया ने उनसे मुलाकात की तत्पश्चात सिंधिया राजवंश की धार्मिक मान्यताओं और रीति रिवाजों के अनुसार उनके राज पुरोहितों ने विधिविधान से शमी पूजन कराया और उसके बाद श्री सिंधिया ने तलवार से शमी के वृक्ष को छुआ और इस तरह शमी पूजन की विधि सम्पूर्ण हुई |
सिंधिया राजवंश के पुरोहितों ने बताया कि यह सिंधिया राजाओं की सैकड़ो साल पुरानी परंपरा है जब राजा कोई युद्ध जीत कर आते थे तो शमी पूजन करते थे जिससे उनको युद्ध मे विजय होने का आशीर्वाद मिलता था | वही जानकार लोगो का कहना था कि शमी वृक्ष जीत औऱ संपन्नता का धोतक है दशहरे पर पूजा के बाद तलवार से शमी वृक्ष को छुआ कर उसकी पत्तियां बाटी जाती हैं | और अच्छे सुखमय जीवन की कामना की जाती है जिससे हर कार्य मे सफलता हाथ लगती है |