बांध बनने से कई गाँव आएंगे डूब में
बाँध निर्माण के विरोध में कई गांव के रहवासियों ने कलेक्टर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा | ग्रामीणों का कहना है की बिना जानकारी के बाँध निर्माण परियोजना का टेंडर जारी किया गया है | मप्र में आदिवासियों को अंधेरे में रखकर एक और बांध की तैयारी की जा रही | जो नियम विरुद्ध है | कई गाँव और जंगल बांध निर्माण की इस परियोजना से डूब क्षेत्र में आ रहे है |
मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी में प्रस्तावित 29 बड़ी बांध परियोजनाओं में | मोरंड एवं गंजाल संयुक्त सिंचाई परियोजना निर्माण के लिए | नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है | सरकार ने इसके लिए टेंडर निकाल दिया है | और डूब क्षेत्र के ग्रामीणों को पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है | जानकारी नही देने व टेंडर जारी करने के विरोध में | हरदा जिले के डूब में आने बाले गाँव बोथी, कायरी,डोमरा, महुखाल के सैकड़ो लोग परियोजना की विस्तृत जानकारी माँगने व टेंडर निरस्त करवाने कलेक्टर कार्यालय पहुँचे | ग्रामीणों का ज्ञापन लेने जब एसडीएम आए तो ग्रामीण कलेक्टर से मिलने के लिए अड़ गए | लगभग 3 घंटे तक कलेक्ट्रेट गेट के सामने नारेवाजी करते रहे | तब जा के कही कलेक्टर खुद मिलने आए | और आस्वासन दिया कि एक हफ्ते के अंदर संबंधित परियोजना की विस्तृत जानकारी मंगवाकर ग्रामीणों को दी जाएगी |
वही जिंदगी बचाओ अभियान की शमारुख धारा ने बताया कि | इस परियोजना में अभी तक न तो पर्यावरणीय मंजूरी मिली है | और न ही फारेस्ट क्लियरेंस | फिर भी नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा बांध निर्माण के लिए 1808 करोड़ का टेन्डर जारी कर | कानून का उल्लंघन किया गया है | इस परियोजना से हरदा, होशंगाबाद एवं बैतूल ज़िले में 2371.14 हेक्टेयर का घना जंगल डुबाया जा रहा है | जबकि इतने बड़े पैमाने पर वन भूमि को खत्म करने के लिए फारेस्ट क्लियरेंस लेना अनिवार्य है | मध्यप्रदेश में में आदिवासियों को अंधेरे में रखकर एक और बांध की तैयारी की जा रही है |