राज्यपाल ने जाना किडनी पीड़ितों का हाल
किडनी की बीमारी के लिए विख्यात हो चुके सुपेबेडा मे अब तक न जाने कितनी जाने जा चुकी हैं| आज भी दो सौ से ज्यादा ग्रामीण किडनी की गंभीर बीमारी से पीडित हैं | राज्यपाल अनुसुइया उइके को जब इस बात की जानकारी मिली तो वे इस गांव मे पीडितों से मिलने पहुंच गईं | और उनके दुखों को समझकर उसका निराकरण करने के निर्देश अधकारियों को दिए |
गरियाबंद जिले के सबसे अधिक चर्चित गांव में शुमार होने वाला सुपेबेड़ा किडनी की बीमारी को लेकर सुर्ख़ियों में है | प्रदेश की राज्यपाल अनुसूया उईके सुपबेड़ा पहुंची | जहां उन्होंने लोगों से सीधे बातचीत की और उनकी समस्यायें सुनी | इस दौरान एक विधवा महिला ने किडनी की बीमारी से पति के मर जाने के बाद रोजी रोजगार नही होने की बात कहते हुए बच्चो सहित मरने की इच्छा जाहिर की | बहुत से परिजनो ने रो रो कर राज्यपाल को अपनी व्यथा बतलाई..राज्यपाल ने कहा कि सुपेबेड़ा की समस्या को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव काफी गंभीर हैं और वे अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहे हैं कि ग्रामीणों को राहत मिले और इनके प्रयास से जरूर परिणाम निकालेंगे मैं आश्वस्त हूं |
किडनी पीड़ित गांव सुपेबेड़ा में 2005 से लगातार मौत का सिलसिला चल रहा है | 14 साल बितने को है लेकिन इस बीमारी से आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं | वर्तमान में 200 से अधिक लोग किडनी बीमारी से ग्रसित हैं जिनमें कई गंभीर पीड़ित जिंदगी की आस छोड़ चुके हैं | हालांकि स्वास्थ्य मंत्री व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ऐसे पीड़ितों को रायपुर स्थित अस्पताल में इलाज कराने के लिए मानने का भरपूर प्रयास किया गया, बावजूद इसके एक भी पीड़ित ने सरकारी इलाज पर भरोसा नहीं जताया | दूसरा कारण यह भी बताया जाता है कि डायलिसिस इलाज के दौरान परिजनों द्वारा ब्लड और महंगी दवाइओं की व्यवस्था नहीं की जा सकती है क्योंकि गांव में तो कमाकर खाने के लाले पड़े हुए हैं | ऐसे में सरकार को इसकी प्राथमिकता के साथ व्यवस्था करते हुए पीड़ितों को इलाज दिलाने का मांग की जा रही है |