नहीं जागा प्रशासन, दुर्घटना का है इंतज़ार
हरदा में आजादी के बहत्तर साल बाद भी माचक नदी पर पुल का निर्माण नहीं होने से | ग्रामीण और स्कूली बच्चे जुगाड़ की नाव से पुल पार करने को मजबूर हैं | सरकार की अनदेखी के चलते | दो विधानसभाओं को जोड़ने वाली इस नदी में अब तक पुल का नर्माण नहीं किया गया है | ऐसा लगता है की सरकार और प्रशासन किसी बड़ी घटना के इंतज़ार में है |
मध्यप्रदेश के हरदा जिले की सबसे बड़ी नदी कहलाने वाली माचक नदी पर आजादी के बाद से आज तक पुल का निर्माण नही हुआ है | कई सरकारें आई और गईं | लेकिन पुल के निर्माण के लिए किसी ने पहल नहीं की | पहल की तो बस झूठे वादों की | इस नदी से रोजाना सैकड़ो राहगीरो के साथ साथ दर्जनों से अधिक स्कूली बच्चे भी आना जाना करते हैं | जुगाड़ की नाव से माचक नदी पार कर बच्चे रोज मगरधा पढ़ने आते हैं | राहगीर तो जैसे तैसे नदी पर कर लेते है | पर बच्चे जुगाड़ की नाव से नदी पर करने को मजबूर है | इतना ही नहीं यह नदी दो विधानसभाओ को जोड़ती है | नदी के एक तरफ हरदा विधानसभा लगती है | तो दूसरी और टिमरनी विधानसभा | और शायद यही इस नदी का कसूर है | कि यह दो विधानसभा के बीच मे है \"|
शासन द्वारा बच्चों को नदी पर करवाने के लिए नाव भी मुहैया कराई गई | परंतु नाव भी 15 दिन से ज्यादा नही चल पाई | और क्षतिग्रस्त हो गई | जुगाड़ की नाव किसी भी दिन बच्चों की जान के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है | इसके अलावा ग्रामीण भी इसी जुगाड़ की नाव से वाहन सहित गांव पहुंचते हैं | प्रशासन की अनदेखी के चलते यहाँ कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है |