एमपी सरकार ला रही है राइट टू वाटर
 RIGHT TO WATER KANOON

पानी के लिए 68 हजार करोड़ की योजनाएं

 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि कमलनाथ सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है लोगों के लिए पानी की व्यवस्था करना  |  ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए एमपी सरकार राइट टू वाटर लेकर आ रही है  | 

पी एच ई मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि  शहरों में पानी की व्यवस्था नगर निगम को करना होता है जो भाजपा शासित हैं  |  वे इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं  |  सरकार राइट टू वॉटर कानून ला रही है  | आईआईटी दिल्ली के साथ अनुबंध कर योजनाओं की बेहतर प्लानिंग का काम करने का फैसला लिया गया है

 सरकार ने 68 हजार करोड़ रुपए की योजनाएं बनाई हैं, जिनमें से 6672 करोड़ रुपए के काम दो साल में पूरे हो जाएंगे | मंदसौर, नीमच, मुलताई, बैतूल और छिंदवाड़ा के लिए राइट टू वॉटर के कामों के टेंडर जारी भी हो गए हैं  | 

मंत्री पांसे ने पत्रकारों ने विभाग के कामकाज का लेखा-जोखा रखते हुए  कहा कि कांग्रेस ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से संबंधित 11 वचन लोगों से किए थे, जिनमें से दो को पूरा किया जा चुका है  |  राइट टू वॉटर का प्रारूप विशेषज्ञों के साथ बैठकर तैयार किया गया है और उस पर काम भी शुरू हो चुका है

 |  राइट टू वॉटर एक्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है  ... पांसे ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार 12 फीसदी ग्रामीण घरों तक ही नल से पानी पहुंचा पा रही थी  प्रदेश की पांच करोड़ 88 लाख ग्रामीण आबादी एक लाख 28 हजार 231 बसाहटों में रहती है, जिनमें से 88 फीसदी को नल से पानी नहीं मिल पा रहा है  |  3000 नल-जल योजनाएं बंद पड़ी थीं, जिन्हें कांग्रेस सरकार ने 11 महीने में पुन: चालू कर लोगों को उनसे पानी उपलब्ध करवाया  |