मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री में निवेश करने में मिलेंगे अच्छे परिणाम
मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री में निवेश करने में मिलेंगे अच्छे परिणाम
“टेक्सटाईल वीविंग द फ्यूचर” पर चर्चा सम्पन्न मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री में निवेश करने पर अच्छे परिणाम मिलेंगे। देश में टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री हमेशा से प्रगतिशील औद्योगिक क्षेत्र रहा है। प्रदेश में इसके विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ रही हैं। यह विचार इन्दौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तीसरे दिन “टेक्सटाईल वीविंग द फ्यूचर” विषय पर आयोजित सत्र में मुख्यमंत्री के ओएसडी अरुण भट्ट ने व्यक्त किये।श्री अरुण भट्ट ने बताया कि प्रदेश में टेक्सटाईल में 20 बड़े उद्योग, 8 बुनकर इकाइयाँ, 12 ऐसी स्पिनिंग मिल हैं, जहाँ से शत-प्रतिशत निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 47 हजार हाथकरघा, 6, 500 करघा, 47 हजार 290 पावरलूम इकाइयाँ और 14 लाख 14 हजार बुनकर प्रदेश में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन्दौर में 133.38 एकड़ में एप्रियल पार्क में उत्पादन हो रहा है। इन्दौर की पहचान टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में विशेष रूप से की गई है और यहाँ अधोसंरचना के विकास कार्यों को प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है। सत्र में बताया गया कि इंदौर में रेडीमेट गारमेंट क्लस्टर भी चल रहा है और यहाँ पर 1260 इकाई सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं।सत्र में चर्चा के दौरान बताया गया कि कॉटन उत्पादन में मध्यप्रदेश पाँचवें स्थान पर है। वीविंग और नीडिंग यूनिट्स मुख्य रूप से मालवा, निमाड़ क्षेत्र में, भोपाल, छिन्दवाड़ा और जबलपुर में कार्य कर रही हैं।भारत सरकार में कपड़ा मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सुनील गुलाटी ने केन्द्र सरकार की टेक्सटाईल नीति के बारे में निवेशकों को बताया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार बुनकरों के कल्याण के लिए विशेष पेकेज दे रही है। उन्होंने राज्य सरकार से उम्मीद की कि वे कुटीर उद्योगों को क्लस्टर के रूप में विकसित करें।अपर मुख्य सचिव कुटीर उद्योग राकेश अग्रवाल ने बताया कि कुटीर उद्योग में चार क्षेत्र हेण्डलूम, हेण्डीक्राफ्ट, खादी और रेशम में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुटीर उद्योग में माटी कला के विकास के लिए भी राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हेण्डलूम में चंदेरी और महेश्वर की साड़ियों को दुनियाभर में अलग पहचान मिली है। इसके विकास के लिए निजी निवेशकों को आगे आना चाहिए। श्री अग्रवाल ने बताया कि बाग की छपाई ने भी अच्छी ख्याति प्राप्त की है। कुल मिलाकर प्रदेश में प्रतिवर्ष 300 करोड़ का टर्नओवर हो रहा है।एम.डी. प्रतिभा सिंटेक्स लिमिटेड श्रेयस्कर चौधरी ने बताया कि उन्होंने प्रदेश में टेक्सटाईल इंडस्ट्री लगाने के बाद कपड़ा बाजार में विशिष्ट पहचान हासिल की है। ट्राइडेंट लिमिटेड के चेयरमेन श्री राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि हाल ही में बुदनी में विश्व की सबसे बड़ी ट्राइडेंट टॉवेल इकाई प्रारम्भ की है। उन्होंने राज्य सरकार की टेक्सटाईल नीति की प्रशंसा भी की। सत्र में बताया गया कि प्रदेश में प्रमुख रूप से सेंचुरी, ग्रेसिम (आदित्य बिड़ला ग्रुप), वर्धमान, रेमण्ड और सेल ग्रुप टेक्सटाइल यूनिट कार्य कर रही हैं। सत्र में वक्ताओं ने निवेशक प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिये।