11 सौ बुद्धिजीवियों ने इस कानून का समर्थन किया
कई दिनों से जारी CAA - NRC के विरोध में माहौल देखने को मिला | लेकिन अब इसके समर्थन में खुल के सामने आ रहे हैं | देश भर में सौ से ज्यादा से ज्यादा शहरों में CAA - NRC समर्थक सड़कों पर उतरे और शान्तिपूर्वक प्रदर्शन किया .| 11 सौ बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने एक साथ आकर सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है | इन सभी लोगों ने सामूहिक बयान जारी कर कहा कि यह कानून पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए शरणार्थियों की सालों पुरानी मांग को पूरा करने वाला है |
CAA और NRC के समर्थन में अब देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं | हांलांकि ये सभी प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं और इनमें अब तक हिंसा की कोई वारदात सामने नहीं आयी है | नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 11 सौ बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने एक साथ आकर सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है | इन सभी लोगों ने सामूहिक बयान जारी कर कहा कि यह कानून पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए शरणार्थियों की सालों पुरानी मांग को पूरा करने वाला है | इस वजह से उन्हें भारत की नागरिकता आसानी से मिल सकेगी | बुद्धिजीवियों ने अपने बयान में कानून के खिलाफ हिंसा करने वालों पर भी नाराजगी जताई है | बुद्धिजीवियों ने कहा है कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते के फेल होने के बाद कांग्रेस, माकपा जैसे राजनीतिक दलों ने भी इन्हें नागरिकता देने की वकालत की थी | इन सभी ने इस कानून को लाने के लिए मौजूदा मोदी सरकार और भारतीय संसद दोनों को ही धन्यवाद दिया है | बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह कानून पूरी तरह से संविधान के मुताबिक है | यह किसी भी देश के नागरिकों को भारत की नागरिकता लेने से रोकने का नहीं है, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो | यह कानून सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर भारत आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने के बारे में है | राजपूत करणी सेना ने इस कानून को देश के हित का कानून बताया है | राजस्थान के ख्यात क्षत्रिय संगठन राजपूत करणी सेना इस बात की घोषणा की है | सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराणा ने सोशल मीडिया अकाउंट पर इसकी सूचना भी दी है और सबसे आहवान किया है कि वे नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में सामने आएं | महिपाल सिंह मकराणा ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि अब केंद्र सरकार को समर्थन देने का समय आ गया है | पिछले 48 घंटों में जब इस कानून के विरोधियों ने देश में दंगों कैसे हालात निर्मित कर दिए तो अब आम लोगों को इसके समर्थन में खुलकर सामने आना पड़ा है | इस दौरान तक़रीबन सौ शहरों में युवाओं बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने फैसले के समर्थन में प्रदर्शन किया |