छत्तीसगढ़ में 182 नक्सलियों ने डाले हथियार
सुरक्षा बलों की शहादत में आई 65 फीसद कमी
नक्सल मोर्चे पर डटी पुलिस के लिए वर्ष 2019 कामयाबियों भरा साबित हुआ है | विकास, सुरक्षा और विश्वास के मूल मंत्र के साथ नक्सल आपरेशन में जुटी पुलिस के लिए यह उल्लेखनीय सफलता है कि पहली दफा सुकमा जैसे अति संवेदनशील जिले में एक भी सुरक्षा कर्मी शहीद नहीं हुआ | इसके उलट मुठभेड़ में 23 नक्सली ढेर किये गए | 105 गिरफ्तार किए गए और 182 नक्सलवादियों ने सरेंडर किया |
आईजी बस्तर सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सल मामलों में 2017 से 2019 तक दर्ज किए गए आंकड़ों में तुलनात्मक रूप से नक्सल वारदातों में 40 फीसद कमी आई है | साथ ही सुरक्षा बलों की शहादत में 65 फीसद तथा नक्सल हिंसा में आम नागरिकों की मौत में 45 फीसद कमी दर्ज की गई है | अधिकारीयों ने नक्सल विरोधी रणनीति पर प्रकाश डालते बताया कि संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों के द्वारा आम जनता को विश्वास में लेकर आपरेशन चलाया जा रहा है | वहीं नक्सलियों के आधार क्षेत्रों में नए कैंप व थाने खोले जाने से सुरक्षा बलों की पहुंच अंदरूनी क्षेत्र तक बढी है | उन्होंने नए वर्ष में पुलिस द्वारा विकास कार्यो पर जोर देने की बात कही | विभिन्न् जिलों में आपरेशन के दौरान डीवीसी, एसीएम, पीएलजीए, एलओएस, एलजीएस व मिलिट्री रैंक के 430 पुरुष व 45 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया | वहीं मुठभेड़ों में 47 पुरुष व 18 महिला नक्सलियों के शव बरामद किए गए |
नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान बीते वर्ष आटोमेटिक समेत 128 हथियार जब्त किए गए | आइजी बस्तर सुंदरराज पी ने बताया कि बीते वर्ष दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव रमन्ना की बीमारी से मौत के बाद नक्सल संगठन काफी कमजोर हुआ है | रमन्ना के विकल्प के रूप में अब तक किसी नेता का चयन नहीं किया जा सका है | यह भी जानकारी मिल रही है कि शीर्ष नेतृत्व स्थानीय नक्सली नेताओं पर भरोसा नहीं करता इसलिए तेलगुभाषी व्यक्ति को ही यह जिम्मेदारी दिए जाने की आशंका है |