आपदा प्रबंध तालों में कैद
मध्यप्रदेश में किसी भी प्राकृतिक आपदा (बाढ़,भूस्खलन,तूफान,भूकंप आदि) के दौरान जन-धन की हानि को कम करने और हालात को काबू में करने वाले राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को खुद अपनी मुक्ति का इंतजार है। केंद्र के एक्ट के बाद राज्य ने 2011 में अधिनियम पारित कर प्रदेश में भी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित तो कर दिया, लेकिन स्टाफ न होने से प्राधिकरण तालों में कैद होकर रह गया है।राज्य ने इस कार्यालय के लिए 42 पद स्वीकृत किए हैं, लेकिन अब तक इन पदों में से एक पर भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। प्राधिकरण का प्रभार संभालने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में गृह सचिव डीपी गुप्ता खुद भी इस कार्यालय में नहीं आते। हालांकि आपदा प्राधिकरण ने इस साल स्टेट डिजास्टर इमर्जेंसी रिस्पांस फोर्स (एसडीईआरएफ) के लिए होमगार्ड के तकरीबन 450 जवानों को प्रशिक्षण के लिए देश के विभिन्न शहरों में भेजा, लेकिन उत्तराखंड जैसी किसी आपदा में इन प्रशिक्षति जवानों का आंकड़ा तो ऊंट के मुह में जीरे के समान है।इस मामले में गृह विभाग के अधीन आने वाले इस संस्था की वेबसाइट ही गलत जानकारी दे रही है।