राज्यों का प्रस्ताव लाना महज एक \'राजनीतिक कदम\"
केरल तथा पंजाब विधानसभाओं द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने तथा कांग्रेस शासित अन्य राज्यों के इसी नक्शे-कदम पर आगे बढ़ने के इशारे के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी एक बड़ा बयान दिया है | उन्होंने दो टूक कहा कि सी ए ए के खिलाफ राज्यों का प्रस्ताव लाना महज एक \'राजनीतिक कदम\" है, क्योंकि नागरिकता प्रदान करने में राज्यों की बमुश्किल ही कोई भूमिका होती है | नागरिकता देना सिर्फ केंद्र सरकार का काम है | कोई भी राज्य नागरिकता नहीं दे सकता | ऐसे में उनके लागू करने या नहीं करने का कोई मतलब नहीं है | CAA को लेकर वरिष्ठ कांग्रेसी व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल भी कह चुके हैं कि राज्य सीएए को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते हैं | अब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि सी ए ए के खिलाफ राज्यों का प्रस्ताव लाना महज एक \'राजनीतिक कदम\" है, क्योंकि नागरिकता प्रदान करने में राज्यों की बमुश्किल ही कोई भूमिका होती है | नागरिकता देना सिर्फ केंद्र सरकार का काम है | कोई भी राज्य नागरिकता नहीं दे सकता | थरूर ने हालांकि यह जरूर कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करने में राज्यों की भूमिका अहम होगी, क्योंकि केंद्र के पास उसके लिए पर्याप्त मानव संसाधन नहीं हैं और राज्यों के अधिकारियों को उस काम में लगाना होगा |
थरूर ने कहा, CAA को लेकर \'वे राज्य प्रस्ताव पारित कर सकते हैं या कोर्ट जा सकते हैं लेकिन व्यावहारिक तौर पर वे कर क्या सकते हैं? राज्य यह नहीं कह सकते कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगे | वे जो कह सकते हैं, वह यह कि एनपीआर-एनआरसी लागू नहीं करेंगे, क्योंकि उसमें उनकी अहम भूमिका है \'टाटा स्टील कोलकाता लिटरेरी मीट\" में शिरकत करने पहुंचे सांसद थरूर ने कहा, \'इस कानून को खत्म करने के दो ही रास्ते हैं | एक- या तो सुप्रीम कोर्ट इसे असंवैधानिक घोषित करते हुए खारिज कर दे और दूसरा तरीका यह है कि सरकार खुद ही इसे रद्द कर दे | लेकिन दूसरा रास्ता संभव नहीं दिखता |