प्रदेश की जनता है हलाकान नाचने वाले सरकारी मेहमान
कर्ज में डूबी कमलनाथ सरकार का आयोजन | आईफा अवार्ड | कमलनाथ की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर रहा हैं | सोशल मीडिया पर इस आयोजन को लेकर कमलनाथ पर तंज कसे जा रहे हैं | वही आईफा अवार्ड के ग्लैमर और कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश पर सियासत उबाल पर आ गई हैं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो यहाँ तक कह दिया की | कमलनाथ सरकार के निकम्मेपन, नाकारापन और वादाखिलाफी का जश्न है आईफा अवार्ड | प्रदेश की जनता है हलाकान और नाचने गाने वाले बनेगे सरकारी मेहमान |
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर दलितों आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे है | किसान कर्जमाफी के इंतजार में आत्महत्या कर रहे है | युवा हताशा और अवसाद का शिकार हो रहे हैं | कन्याएं अपनी गृहस्थी बसाने के लिए उपहार राशि का इंतजार कर रहीं है | संबल योजना के हितग्राही कफन सहायत | मृत्यु सहायता की आशा में रोज बैंको से खाली हाथ लौट रहे है | खाली खजाने का हवाला देकर कमलनाथ सरकार गरीबों की योजनाओं को बंद कर रही है | वहीं दूसरी ओर आईफा अवार्ड के नाम पर सरकार अपनी वाहवाही में लगी हुई है | उन्होंने कहा कि यह आईफा अवार्ड प्रदेश की जनता के पैसो से हो रहा हैं | कमलनाथ सरकार के नाकारापन, वादाखिलाफी और दलित और आदिवासियों पर बढते अत्याचारों का जश्न है | उन्होंने कहा कि गरीबों की चिंता करने की बजाय कमलनाथ सरकार फिल्म सितारों की आवभगत में लगी हैं | प्रदेश की जनता हलाकान और नाचने गाने वाले सरकारी मेहमान बनेंगे | उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोगों को आईफा अवार्ड जैसे नाच गाने का शौक है | तो बड़े शहरों में जाकर अपने पैसों से अपने शौक पूरे करे | जनता की गाढ़ी कमाई ऐसे आयोजनों पर खर्च करना जनता का अपमान है | जिसे प्रदेश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी |
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि | एक तरफ सरकार खाली खजाने का रोना रो रही है | तत्कालीन भाजपा सरकार पर दोषारोपण कर रही है कि खजाना खाली छोड़ा है | लेकिन फिजूल खर्ची के लिए सरकार के पास पैसा कहां से आ रहा है | पता चला है कि सरकार आईफा अवार्ड पर करीब 58 करोड़ रूपए की राशि खर्च करने जा रही है | यह राशि और भी ज्यादा हो सकती है | इसकी तैयारियों के लिए सरकारी मशीनरी को लगाया गया है | लेकिन प्रदेश की कमल नाथ सरकार एक साल बीत जाने के बाद भी किसानों का कर्जमाफ नहीं कर सकी है | उन्होंने कहा कि सरकार ने वृद्धजनों के लिए जिलों की निराश्रित निधि के 750 करोड भी अन्यत्र खर्च कर दिए | अतिथि शिक्षक पिछले 53 दिन से धरने पर बैठे है | उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है | और दूसरी तरफ सरकार का यह तर्क की आईफा से रोजगार बढेगा | यह हास्यास्पद है।