मध्यप्रदेश में गेहूँ उपार्जन 18 मार्च से
उपार्जन के लिये केन्द्र से वित्तीय सहयोग लिया जायेगा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों को गेहूँ उपार्जन में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिये। उन्होंने उपार्जन केन्द्रों की स्थापना, भण्डारण, परिवहन, मण्डियों में तुलाई की व्यवस्थाओं और पंजीयन करवाने वाले किसानों के सत्यापन का कार्य जल्दी पूरा करने के निर्देश दिये।श्री चौहान मंत्रालय में गेहूँ उपार्जन 2015-16 की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में बताया गया कि भोपाल, उज्जैन, इंदौर एवं नर्मदापुरम संभाग में गेहूँ उपार्जन का कार्य 18 मार्च से शुरू हो रहा है, जो 19 मई तक चलेगा। चम्बल, ग्वालियर, रीवा, शहडोल, जबलपुर और सागर संभाग में गेहूँ उपार्जन 25 मार्च से 26 मई तक चलेगा। इस वर्ष 100 लाख मीट्रिक टन उपार्जन का अनुमान है। समर्थन मूल्य 1450 रूपये पर खरीदी की जायेगी। इसके लिये आवश्यक धनराशि की व्यवस्था के संबंध में केन्द्र सरकार से आग्रह किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे केन्द्रीय खाद्य मंत्री और केन्द्रीय वित्त मंत्री से चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री ने मण्डियों और उप-मण्डियों में भी गेहूँ उपार्जन केन्द्र बनाने और इलेक्ट्रॉनिक नाप-तौल के इंतजाम करने के निर्देश दिये।बैठक में बताया गया कि 2 करोड़ 58 लाख बारदाने उपलब्ध हैं जो 60 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन के लिये पर्याप्त हैं। इसके अलावा भी अतिरिक्त संख्या में बारदानों की व्यवस्था रखी गयी है। यह भी बताया गया कि राज्य की भण्डारण क्षमता 111 लाख मीट्रिक टन है जो अनुमानित उपार्जन के लिये पर्याप्त है। इस रबी वर्ष 2015-16 में 58 लाख 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोनी हुई है और उत्पादन 185 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है। इस वर्ष एक लाख 90 हजार नये किसान ने पंजीयन करवाया है। इस प्रकार कुल 18 लाख 77 हजार किसान का पंजीयन हुआ है जिनमें से 17 लाख 92 हजार किसान का सत्यापन हो चुका है। इस बार 2,974 खरीदी केन्द्र की व्यवस्था की जायेगी।नहीं होगी महामाया धान की खरीदीश्री चौहान ने धान के भण्डारण पर चर्चा के दौरान किसानों को महामाया प्रजाति का धान नहीं उगाने की सलाह देने के लिये व्यापक परामर्श अभियान चलाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस धान की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने से मिलिंग के लिये उपयोगी नहीं होता है और इसकी बिक्री नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि महामाया धान की खरीदी नहीं की जायेगी। उन्होंने पिछले साल के उपार्जित धान की बिक्री पूरी पारदर्शिता के साथ करने को कहा।