आबकारी विभाग की नजर अब सस्ती शराब पर
सरकार की नीति से परेशान होकर शराब ठेकेदारों ने इस साल ज्यादा रुचि नहीं दिखाई लिहाजा सरकार को पांच सौ करोड़ की चपत लग गई। अब आबकारी विभाग इस घाटे की भरपाई के लिए पूरी तरह सस्ती व देशी शराब पर ध्यान लगा रहा है। प्रदेश में शराब की खपत तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसी तेजी से कम हो रही है। सरकार ने विदेशी शराब की कीममों में ३० फीसदी तक की वृद्धि कर दी, जिसके चलते पीने वालों का रुख सस्ती मिलने वाली देशी शराब की ओर बढऩे लगी है।जिससे स्थानीय शराब निर्माताओं और निम्न स्तर की शराब बनाने वाले कारोबारियों की पौ-बारह हो गई है। विभाग भी मान बैठा है कि देशी और सस्ती शराब जितनी ज्यादा बिकेगी उतना अधिक आबकारी कर सरकार को मिलेगा। इससे ही सरकार में विभाग की गिरती साख पर भी विराम लग पाएगा।शराब निर्माताओं के लिए लाभ के नियमगौरतलब है कि वर्ष 2016-17 के लिए नई आबकारी नीति बनाते समय ही अधिकारियों ये मन बना लिया था कि इस बार देशी और स्थानीय व सस्ती शराब बनाने वाले निर्माताओं को लाभ पहुंचाने वाले नियम बनाएं जाएंगे। जब नीति घोषित हुई, तो पिछले साल की तुलना में सरकार ने देशी मदिरा पर एक्साइज ड्यूटी में कोई बढ़ोतरी नहीं की। इसके ठीक विपरीत विदेशी शराब के मंहगे और अच्छे ब्राण्ड की शराब पर तकरीबन 5 फीसदी एक्साईड ड्यूटी बढ़ा दी। जानकार मनाते हैं कि इस कारोबार में वर्षों से लगे ठेकेदारों ने शराब की इस मंशा को भांप लिया और विदेशी शराब की दुकानों की नीलामी में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई, जब कि सरकार ने उन्हें कई तरह के प्रलोभन भी दिए, ऐसे में कई दुकानों का संचालन अब विभाग को ही करना पड़ रहा है। इधर विदेशी शराब की दुकानों में शराब की कीमतों में 25 रुपए से 300 रुपए तक की वृद्धि हो गई।इसलिए बढ़ रही हैं कीमतेंविभाग से मिली जानकारी के अनुसार सामान्यत: वे ही ब्राण्ड पंजीबद्ध किए जाते हैं, जिनकी कीमत 8 सौ रुपए से ऊपर होती है। यानि कि अच्छे और गुणवत्ता युक्त ब्राण्ड की कीमत इससे नीचे नहीं रहती। विभाग इस स्तर की शराब से कर के रुप में तकरीबन 270 रुपए वसूल करती थी, किन्तु एक्साइज ड्यूटी बढ़ाए जाने के बाद अब यहीं शराब की बोतलें 100 रुपए ज्यादा यानि की 370 रुपए कर के रुप में दे रही है, जिससे उनकी कीमतें भी बढ़ रही है। ऐसे में शराब पीने वाले महंगी शराब की जगह सस्ती और देशी शराब पर निर्भर रहने लगे है। विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है कि विदेशी शराब की कीमतें बढऩे से खपत में कमी आई है और लोग विदेशी की जगह देशी या सस्ती ब्राण्ड की शराब ज्यादा पी रहे है।इनका कहना हैआबकारी आयुक्त राकेश श्रीवास्तव ने बताया नई आबकारी नीति के दौरान ही विदेशी मदिरा की एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई थी, जिसके बढऩे से न्यूनतम बिक्री दरों में वृद्धि हुई है।