संगीतकार के दिल ने बदला स्थान
संगीतकार के दिल ने बदला स्थान
मनीष परालेयह तो सभी जानते हैं कि कुदरत करिश्मा करती है मगर कभी कभी कुदरत ऐसे करिश्मे कर देती है जिससे सुनने वालों में खलबली मच जाती है। चिकित्सकों के दल को रतलाम में एक ऐसे युवक का पता चला जिसका दिल अपने स्थान पर नहीं है। मजेदार बात तो यह है कि उन्हें भी हाल ही में पता चला है।धार जिले के बखतगढ़ निवासी पेशे से संगीतकार दिलीपसिंह डोडिया सुर लय ताल को एक सा करने में लगे रहते हैं। मगर उन्हें पता नहीं था कि उनका दिल तय स्थान पर नहीं है। जब पता चला तो परिजन हैरत में पड़ गए। कहने लगे यह तो भगवान की लीला है।कैसे चला पताहुआ यूं कि 16 मई को दिलीपसिंह डोडिया मोटरसाइकल से रतलाम आ रहे थे कि उनकी गाड़ी की दुर्घटना हो गई। उपचार के लिए रतलाम लाया गया। जब पता चला कि पैर में फ्रैक्चर है, तब हड्डी रोड विशेषज्ञ डा. योगेंद्रसिंह चाहर के चिकित्सालय में लाया गया।क्या देखा डा. चाहरपैर का आपरेशन करने से पूर्व डा. चाहर ने पेशेंट के शरीर का परीक्षण किया कि सब कुछ ठीक तो है। जब लेफ्ट साइड में इसीजी मशीन लगाई गई तो हाड बीड थी लाइन एक-सी दिखने लगी। तब डा. चाहर के चेहरे पर चिंता की लकीर खींच गई कि क्या हुआ हार्ट कार्य नहीं कर रहा है और पेशेंट है। आनन-फानन में कार्डियलाजिस्ट डा. अजय जैन को बुलाया गया। उन्होंने भी परीक्षण किया तो वहीं स्थिति नजर आई। डा. खापर्ड़े भी आए। तब इसीजी मशीन को राईट साइड में लगाया गया तो हार्ट सामान्य रूप से कार्य रहा था। चिकित्सकों के लिए तो यह जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला था। डा. चाहर ने कहा कि ऐसे केस करोड़ों में एकाध में होते हैं। डा. जैन ने कहा कि बस दिल का स्थान बदला है। शरीर की सभी प्रक्रिया सामान्य रूप से चल रही है।क्या कहना संगीतकार डोडिया काबखतगढ़ निवासी लक्ष्मणसिंह डोडिया के पुत्र श्री डोडिया पेशे से संगीतकार है। आर्केस्ट्रा ग्रुप का संचालन करते हैं। बेहतरीन कार्यक्रम इंदौर में दे चुके हैं। इनके करीबी राजेंद्रसिंह फिल्म इंडस्ट्री में। वे भी संगीतकार है। उनसे ही इन्हें भी प्रेरणा मिली है। श्री डोडिया की-बोर्ड प्लेयर है। इनका कहना है कि 32 साल की उम्र में आज तक चिकित्सालय का मुंह नहीं देखा है। दवाई तक नहीं ली है। प्राकृतिक चिकित्सा को ही मान्यता देते हैं। नियमित मोर्निंग वाक होती है। प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं। दिल का स्थान पर बदलने पर श्री डोडिया कहते हैं कि उस समय तो घबराहट हो रही थी कि आखिर दिल कहां गया? चिकित्सक परेशान थे लेकिन कह रहे थे कि घबराने की बात नहीं है। जब पता चला कि दिल राईट में है। चिंता की बात नहीं अपितु करिश्मे की बात है।डेस्कोकार्डियन हैकरोड़ों लोगों में एकाध व्यक्ति ऐसा होता है जिसके दिल लेफ्ट की बजाए राईट में रहता है। दिल की बात ही नहीं है शरीर में कई अंग अपने निर्धारित स्थान पर नहीं रहते हैं मगर चिंता की बात नहीं होती है। मेडकिल साइंस में इसे डेस्कोकार्डियन कहते हैं।