मध्यभारत की खिलाडी बेटियां
ताहिर अली राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन और अधोसंरचना विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पुरुष तथा महिला खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिये जो सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं, उसी का परिणाम है कि मध्यप्रदेश खेलों में अग्रणी राज्य हो गया है। इसमें प्रदेश की महिला खिलाड़ियों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।खेल विभाग द्वारा प्रशिक्षित प्रदेश की लाड़लियों ने खेल के क्षेत्र में विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह सब संभव हुआ है विभाग द्वारा नियुक्त कुशल प्रशिक्षक, बेहतर प्रशिक्षण, उचित मार्गदर्शन तथा राज्य शासन की बेटियों के लिये संचालित की जा रही लाभकारी योजनाओं के चलते। आज प्रदेश के शहरी तथा ग्रामीण अँचलों से खिलाड़ी बेटियाँ प्रशिक्षण लेकर अपने परिवार तथा प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं।राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में महिला खिलाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश को एक अलग पहचान दी है। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में राज्य खेल अकादमी की महिला खिलाड़ियों द्वारा वर्ष 2007-08 से अब तक 479 पदक जीतकर प्रदेश को गौरवान्वित किया गया है। इनमें 166 स्वर्ण, 164 रजत तथा 149 काँस्य-पदक अर्जित किया जाना शामिल है। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में राज्य अकादमी की महिला खिलाड़ियों ने 21 पदक अर्जित किये हैं। इनमें 5 स्वर्ण, 6 रजत तथा 20 काँस्य-पदक सम्मिलित हैं।मध्यप्रदेश की खिलाड़ी बेटियों ने गत दो वर्ष में पायका अंतर्गत आयोजित राष्ट्रीय महिला खेलों में 2 स्वर्ण, 2 रजत एवं 10 काँस्य-पदक सहित कुल 14 पदक अर्जित किये। इसके अलावा विक्रम पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों को सरकारी सेवा का नियुक्ति-पत्र दिया गया। डी.एस.वाय.डब्ल्यू. अकादमी के रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम से 175 महिला खिलाड़ियों को रोजगार के अवसर मिले, वहीं भर्ती सूचना केन्द्र के प्रशिक्षण के माध्यम से 11 महिलाओं को भी रोजगार मिला।प्रदेश की ऐसी कई महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय तथा अन्य प्रतियोगिताओं में भागीदारी कर प्रदेश का नाम खेल नक्शे पर उपलब्धियों से भर दिया है। इन महिला खिलाड़ियों ने राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं की प्रशंसा करते हुए इनको उच्च-स्तरीय बताया है।प्रदेश की लाड़ली खिलाड़ी राजकुमारी राठौर प्रौन और 3 पोजीशन में सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियन हैं। राजकुमारी 8 बार की सीनियर तथा 7 बार की जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियन हैं। राजकुमारी ने 17 बार विश्व, 4 बार एशियन तथा 3 बार सेफ चैम्पियनशिप में भागीदारी की है। वर्ष 2002 में हुए कॉमन-वेल्थ गेम्स में एक स्वर्ण तथा एक रजत पदक अर्जित किया था। राजकुमारी महू ने 10 किलोमीटर दूर छोटे-से गाँव हरसोला से राष्ट्रीय चैम्पियन बनने का सफर शुरू कर खेल विभाग की सुविधाओं का लाभ उठाते हुए अपनी मेहनत तथा लगन के दम पर आगे बढ़ती रहीं। राजकुमारी लंदन ओलम्पिक-2012 के क्वालिफिकेशन राउण्ड तक पहुँचने वाली मध्यप्रदेश की एकमात्र खिलाड़ी रहीं। राजकुमारी के अनुसार जो सुविधा मध्यप्रदेश सरकार दे रही है, वह सुविधा कई बार राष्ट्रीय कैम्पों में भी नहीं होती है। राज्य सरकार ने ओलम्पिक स्तर की शूटिंग सुविधा उपलब्ध करवाई है।लतिका भण्डारी प्रदेश की नम्बर-1 ताईक्वांडो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पाँचवीं कॉमन-वेल्थ ताईक्वांडो चैम्पियनशिप में स्वर्ण-पदक अर्जित किया है। लतिका ने सेफ खेलों में भी रजत-पदक प्राप्त किया तथा लंदन ओलम्पिक्स के क्वालिफिकेशन राउण्ड में भी पहुँची थीं। मध्यप्रदेश ताईक्वांडो में गत 5 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय चैम्पियन है। यह खिताब प्रदेश को लतिका भण्डारी, आरती खाकल, श्रव्या के शानदान प्रदर्शन से हासिल हुआ है। लतिका अपनी सफलता का श्रेय राज्य सरकार को देती हैं। उनका मानना है कि वे भाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश से ताईक्वांडो खेल रही हैं। इलेक्ट्रॉनिक चेस्ट-गार्ड, अत्याधुनिक जिम, उच्च-स्तर का प्रशिक्षण, भोजन, स्पोर्ट्स, मेडीसिन सेंटर की सुविधा राज्य ताईक्वांडो अकादमी के खिलाड़ियों को मिलती है। यह विश्व-स्तरीय है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश ताईक्वांडो में राष्ट्रीय चैम्पियन है।प्रदेश की रेणु और शानु महाजन फेंसिंग की उभरती खिलाड़ी हैं। शानू महाजन ने हाल ही में साउथ एशियन फेंसिंग चैम्पियनशिप में काँस्य-पदक अर्जित किया है। दोनों ही बहनों ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अर्जित किये हैं। तलवारबाजी (फेंसिंग) जैसे खेल को मध्यप्रदेश में मिले प्रोत्साहन के कारण आज पुरुष ही नहीं महिला खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर पा रहे हैं।