राज्यपाल यादव ने 19 शिक्षकों का किया सम्मान
गुरु चाहे तो इतिहास बदल सकता है मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव ने कहा है कि शिक्षक ही राष्ट्र को नई दिशा दे सकते हैं। श्री यादव ने कहा कि यदि शिक्षा छात्रों का चरित्र निर्माण नहीं कर सकती है तो ऐसी शिक्षा मूल्यहीन है। चरित्रवान नागरिकों का निर्माण ही शिक्षा का एक सर्वमान्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि शिक्षित करने के साथ ही युवा पीढ़ी को मानवीय मूल्य, ईमानदारी, कर्त्तव्य परायणता, राष्ट्र प्रेम, नैतिकता और चरित्र आदि संस्कार देने का दायित्व शिक्षकों का ही है। श्री यादव ने कहा कि महात्मा गांधी शिक्षकों को ‘एजेंट ऑफ सोशल चेंज’ मानते थे। उन्होंने जिन सात नैतिक अपराध की चर्चा ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित अपने एक लेख में की थी उनमें से एक है- चरित्र के बिना ज्ञान। इस दृष्टि से भी समाज की जिम्मेदार पीढ़ी तैयार करने का दायित्व शिक्षकों पर ही है। उन्होंने कहा कि देश और समाज के प्रति समर्पित गुरू सही शिक्षा के जरिये इतिहास बदल सकते हैं।राज्य-स्तरीय सम्मान से सम्मानित शिक्षकबालकृष्ण पचौरी जवाहरपुरा भिण्ड, रोहणी प्रसाद मिश्रा बिछिया-मण्डला, मोतीलाल फरकिया देनिथलाई खुर्द, मंदसौर, श्री राजेन्द्र प्रसाद भारद्वाज, तलेन राजगढ़, मुकाम सिंह भंवर, धार और प्रवीण कुमार मण्डलोई, शाजापुर।राज्यपाल यादव ने डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्मरण करते हुए कहा कि उनकी लोकतंत्र में गहरी आस्था थी और वे लोकतंत्र के सजग प्रहरी थे।राधाकृष्णन जी की दृढ़ मान्यता थी कि गंभीर से गंभीर समस्या का समाधान आपसी संवाद और बातचीत के लोकतांत्रिक तरीके से किया जा सकता है। राधाकृष्णन जी ने भारतीय दर्शन को दुनिया में प्रतिष्ठापित किया। उनका मानना था कि शिक्षक को मात्र अध्यापन से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। शिक्षकों को अपनी योग्यता, निपुणता और आचरण से छात्रों का स्नेह और आदर भी अर्जित करना चाहिए।समारोह में राज्यपाल राम नरेश यादव ने इस वर्ष के राज्य स्तरीय सम्मान से प्रदेश के छह शिक्षक को सम्मानित किया। श्री यादव ने वर्ष 2011 में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त 13 शिक्षक का भी सम्मान किया। उन्होंने योग शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पवन गुरू को एक लाख की सम्मान राशि, प्रशस्ति-पत्र, शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। यह पुरस्कार इसी वर्ष से प्रारंभ किया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय शैक्षिक संगोष्ठी में प्रत्येक जिले से प्रतिभागी के रूप में दो-दो शिक्षक में से अंतिम रूप से चयनित दो शिक्षक, सतना के शंकरदयाल दीक्षित और गुना की मधुबाला सक्सेना को पाँच-पाँच हजार की राशि से सम्मानित किया गया।वर्ष 2011 के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्तसम्मानित शिक्षक नवीन कुमार ब्यौहार, निवास मण्डला, अरूण कुमार शर्मा, बकतगुढ़ सबलपुर धार, संजय कुमार जौहरी, उज्जैन, चित्रलेखा तिलक, विदिशा, सुनील कुमार त्रिपाठी, कल्याणपुर भिण्ड, श्री अशोक कुमार, दौलतपुर, मंदसौर, चांदमल जैन, सुसनेर, शाजापुर, नंदलाल जाटव, करहल, श्योपुर तथा सुनीता थत्ते, चिमनबाग, इंदौर रामनारायण केरावत, रतलाम, डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी दमोह, मोहम्मद उमर शरीफ, मुरैना एवं याज्ञवलक्य द्विवेदी दतिया।स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा कि अच्छी शिक्षा सभी समस्याओं का समाधान है। श्रीमती चिटनीस ने कहा कि शिक्षक छात्रों को इस प्रकार शिक्षित करें कि उनके आचरण और व्यक्तित्व में भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्य नजर आयें। डा. राधाकृष्णन को याद करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश के दर्शन को दुनिया में आज जो गौरव प्राप्त हुआ है उसके पीछे डॉ. राघाकृष्णन का दृढ़ संकल्प है।आदिम-जाति कल्याण मंत्री विजय शाह ने कहा कि शिक्षक शिक्षा दान कर दूसरों के लिए जीने की प्रेरणापूर्ण मिसाल प्रस्तुत करते हैं। गुरूजन उन्नत समाज और देश के भविष्य के निर्माण के लिए आने वाली पीढ़ी को शुरूआती दिनों से ही जो दिशा देते हैं उसके लिए शिक्षकों को सम्मानित करना गौरव की बात है। श्री शाह ने कहा कि गंतव्य तक वही पहुँच सका है जिनके सपनों में शक्ति और हौसलों में जान थी।पूर्व में राज्यपाल श्री यादव ने माँ सरस्वती और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारम्भ किया। कमला नेहरू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भोपाल की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना, गुरू वंदना, वंदेमातरम् और मध्यप्रदेश गान प्रस्तुत किया गया। औषधीय पौधे भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में ‘अभिनंदन’ फोल्डर का विमोचन किया गया। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा संजय सिंह ने स्वागत भाषण और प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। स्कूल शिक्षा आयुक्त अरूण कोचर ने स्मृति स्वरूप अतिथियों को पुस्तकें भेंट कीं। स्कूल शिक्षा संचालक श्री अवधनारायण मिश्रा ने आभार माना।