विश्व में शांति-सद्भाव को बढ़ावा देने की मध्यप्रदेश सरकार की ऐतिहासिक पहल
साँची में बौद्ध तथा भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का शिलान्यासविश्व में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश सरकार की ऐतिहासिक पहल के तहत सॉची में बौद्ध तथा भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की आधार-शिला रखी गयी। बौद्ध और भारतीय ज्ञान पर अध्ययन के लिये बन रहे दुनिया के इस पहले विश्वविद्यालय का शिलान्यास समारोह श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे, भूटान के प्रधान मंत्री जिग्मे वाय. थिनले, राज्यपाल रामनरेश यादव, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, श्री प्रकाश अम्बेडकर, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती और श्री वेन बानगल उपतिस्स नायक थेरो की गरिमामय उपस्थिति में सपन्न हुआ।गरिमामय कार्यक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री राजपक्षे और भूटान के प्रधानमंत्री श्री थिनले ने श्रीलंका से लाये गये बोधि वृक्ष को विश्वविद्यालय के शिलान्यास-स्थल पर रोपा। सभी अतिथियों ने श्रीलंका से लायी गयी विशेष ईटों से आधार-शिला रखी। इन विशेष ईटों में श्रीलंका से लायी गयी पंच धातु, वनस्पतियाँ, वन औषधियाँ तथा अन्य शुभ माने जाने वाले पदार्थ रखे गये हैं। कार्यक्रम में सम्पूर्ण विधि-विधान से सनातन परम्परा तथा बौद्ध विधि से शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर श्रीलंका से आये सांस्कृतिक दल ने मृदगंम तथा मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक दल ने शंख ध्वनि के सामूहिक नाद से वातावरण को उमंग और उत्साह से भर दिया। राज्यपाल श्री यादव ने इस अवसर पर साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के शिलान्यास की विधिवत घोषणा की।विश्व धरोहर बौद्ध स्तूप के लिये प्रसिद्ध साँची में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित किये जा रहे इस विश्वविद्यालय के लिये 100 एकड़ भूमि आरक्षित की गयी है। इस पर दो चरण में लगभग 300 करोड़ रूपये खर्च होंगे। विश्वविद्यालय धम्म के सिद्धान्त, बुद्धिज्म शिक्षण, समसामयिक दर्शन एवं परंपराओं की शिक्षा प्रदान करेगा। प्राचीन भारतीय विचार और एशिया के विभिन्न देशों में विस्तार ले रही बुद्धिस्ट संस्कृति के मध्य परस्पर वैचारिक संबंधों को प्रोत्साहित करने का कार्य करेगा।शिक्षा की वैकल्पिक पद्धतियों के परिप्रेक्ष्य में भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार और एशिया के कला शिल्प और कौशल में शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्य भी विश्वविद्यालय करेगा। विश्वविद्यालय में बुद्धिज्म और भारतीय ज्ञान और संस्कृति पर एक पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी, जो भौतिक और डिजिटल स्वरूप में संबंधित साहित्य उपलब्ध करवायेगा।विश्वविद्यालय में पाँच अध्ययन केंद्र होंगे जिनमें बौद्ध दर्शन शाखा, सनातन धर्म और भारतीय ज्ञान अध्ययन शाखा, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन शाखा, तुलनात्मक धर्मों की शाखा, भाषा, साहित्य और कला की शाखा रहेंगी।इस अवसर पर उच्च शिक्षा एवं संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, प्रभात झा, सुरेश सोनी, राम माधव, अरविन्द मेनन, शैतानसिंह पाल, मुख्य सचिव आर.परशुराम, पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे भी उपस्थित थे।