27 जनवरी को बनेगा 36 वर्ष बाद बनेगा महामुहूर्त का महासंयोग
55 दिनों में होंगे तीन रविपुष्य सर्वार्थसिद्धी संयोग पं. धर्मेन्द्र शास्त्री ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री के अनुसार भारतीय सनातन पंचाग में पुष्य नक्षत्र प्रत्येक 27 दिन बाद आता है लेकिन रविवार को किसी भी समय अर्थात रविवार के सूर्योदय से सोमवार के सूर्योदय के पहले किसी भी समय पुष्य नक्षत्र आने से सवार्थसिद्धी योग बनता है! इस बार लगातार पुष्य नक्षत्र व रविवार का संयोग 55 दिनो में 3 बार होगा 2 दिसम्बर2012] 30 दिसम्बर 2012 ] 27 जनवरी 2013 तक तीनो पुष्य नक्षत्र रविवार का स्पर्श करेगे ! 2दिसम्बर रविवार को रात्रि 11%43 बजे से पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होकर 3 दिसम्बर सोमवार को सोमपुष्य बनाकर देर रात्रि 1%17 तक रहेगा व30 दिसम्बर रविवार को प्रातः 7%11 से पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होकर 31 दिसम्बर सोमवार को सोमपुष्य बनाकर को प्रातः 8%51 तक रहेगा ! पुष्य नक्षत्र जो 27 नक्षत्रों का राजा होता है इसे नक्षत्रराज भी कहा जाता है साथ ही रविवार का स्वामी सूर्य जो नवग्रहो के राजा है इस कारण रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र आने से सवार्थसिद्धी योग बनता है! महासंयोगो का महापुण्यफल प्राप्त होगा! 27 जनवरी 2013 रविवार को पुष्य नक्षत्र के साथ पौषी पूणिमा एवं इस वर्ष 12 वर्ष पश्चात जब गुरू वृषभ राशि में एवं सूर्य व चन्द्र मकर राशि में आते हैं तो तीर्थराज प्रयाग(इलाहबाद) में महाकुम्भ महापर्व का संयोग बनता है यह महासंयोग 14 जनवरी 2013 से 10 मार्च 2013तक होगा 36 साल पहले इलाहबाद महाकुम्भ पर्व के समय 18 जनवरी 1976 मे रविपुष्य योग एवं महाकुम्भ पर्व एक साथ आये थे ! इन रविपुष्य यागो में नए वाहन ]जमीन] मकान स्थाई सम्पत्ति के सौदे ] गृहप्रवेश]गहने मषीनरी इलेक्ट्रानिक समाना खरीदना शुभ होता है। इन योगों में खरीदी गई जमीन या मकान व सोना चाँदी लाभ प्रदान करते है |