साहित्य, कला और संस्कृति उत्कृष्ट होना चाहिए
साहित्य, कला और संस्कृति उत्कृष्ट होना चाहिए
तृतीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य- संवाद में बोले लक्ष्मीकांत शर्मा मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी भोपाल एवं कालिदास अकादमी उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में उजैन में दो-दिवसीय तृतीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य-संवाद का शुभारंभ संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिन्तक श्रीधर पराडकर ने की। विशेष अतिथि मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. मोहन यादव थे। इस अवसर पर श्री शर्मा ने कहा कि साहित्य, कला और संस्कृति उत्कृष्ट होना चाहिए। उन्होंने संस्थाओं से कहा कि वे अच्छे मन से काम करें।श्री शर्मा ने कहा कि हमारे देश के 50 वर्ष की साहित्य यात्रा के पढ़ावों का संस्पर्श हुआ है कि नहीं इसके रचनात्मक लेखन में स्थायी महत्व के पक्षों यथा मूल्य, संस्कृति, देश, राष्ट्र, मानवता और परंपरा पर प्रकाश डाला गया अथवा नहीं इसी तारतम्य में समस्त पक्षों पर एकत्र विचार करने के लिए साहित्य संवाद करवाये जा रहें है। प्रथम साहित्य संवाद भोपाल और द्वितीय इंदौर में संपन्न हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन संगोष्ठियों के माध्यम से अच्छी बातें उभर कर सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि संगोष्ठियों के निष्कर्षों पर पुस्तिकाएँ प्रकाशित की जा रही हैं। पुस्तकों का प्रकाशन मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी करेगा।मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. मोहन यादव ने कहा कि महिदपुर तहसील के ग्राम डोंगला में वेधशाला के विषय में भी साहित्यकार एवं चिंतन और मनन करें। अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कृष्ण मुरारी मिश्र ने कहा कि साहित्य संवादों के माध्यम से जो विचार निकलते हैं वह दूर तक फैलते हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा का ज्ञान हम सबको होना आवश्यक है।वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिन्तक श्री श्रीधर पराडकर ने कहा कि साहित्य संवाद में समीक्षा सही ढ़ंग से की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचार आज भी प्रासंगिक हैं। साहित्य के क्षेत्र में निरंतर शोध होना चाहिए। शब्द साहित्यिक होना चाहिए न कि चलताऊ। हिन्दी के साहित्य में अंग्रेजी के शब्द नहीं होना चाहिए। साहित्य को पढ़कर लोकमंगल की भावना हमारे मन में जागती है। साहित्य की बात करने पर प्रकाशक एवं पाठक की भी विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।साहित्य अकादमी के निदेशक प्रोफेसर त्रिभुवननाथ शुक्ल आदि ने अतिथियों को शाल-श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ भैंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर ‘‘साहित्य के शाश्वत प्रतिमान’’ पुस्तक का विमोचन किया गया। स्वागत भाषण साहित्य अकादमी के निदेशक प्रोफेसर त्रिभुवननाथ शुक्ल ने दिया और अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संवाद की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।इस अवसर पर डॉ. गोविन्द प्रकाश शर्मा, कालिदास अकादमी के निदेशक बलदेवानंद सागर , उपनिदेशक शशिरंजन अकेला आदि उपस्थित थे।